संपादकीय

दुर्घटनाएं एक दुखद त्रासदी

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उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के दौरान अक्सर ऐसी खबरें सामने आती है जिनमें वाहनों के दुर्घटना के कारण कई लोगों की जान चली जाती है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा दुर्घटनाएं रोकने के व्यापक प्रबंध किए गए हैं लेकिन पूर्ण रूप से यात्रा को दुर्घटना शून्य बनाने के प्रयास सफल होते नजर नहीं आ रहे हैं। अभी हाल ही में रुद्रपुर जिले में एक टेंपो ट्रैवलर के नदी में गिरने से 15 लोगों की जान चली गई जबकि अन्य छुटपुट हादसे चार धाम यात्रा मार्ग पर होते ही रहते हैं। राज्य सरकार ने यात्रा से पूर्व चार धाम यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले जनपदों को खास निर्देश दिए थे कि ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जाए जहां दुर्घटनाएं संभावित रहती हैं। साथ ही दुर्घटना के बाद तत्काल राहत कार्यों को लेकर भी त्वरित एक्शन लेने के लिए निर्देश दिए गए थे लेकिन रुद्रप्रयाग की घटना में राहत कार्यों में थोड़ा समय लगा हालांकि बावजूद इसके राहत दलों एवं स्थानीय लोगों ने अधिक से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया लेकिन फिर भी अब तक 15 लोगों की जान इस दुर्घटना में जा चुकी है। उत्तराखंड की चार धाम यात्रा हमेशा से ही चुनौती भरी यात्रा रही है खास तौर से ऐसे वाहन चालकों के लिए जो दूसरे राज्यों से श्रद्धालुओं को लेकर आते हैं। मैदान एवं पहाड़ की सड़क परिवहन व्यवस्था में काफी अंतर रहता है और पहाड़ों में अनुभवी चालक का होना बेहद आवश्यक है। सरकार द्वारा श्रद्धालुओं को यह नसीहत भी दी जाती है कि वह पहाड़ी मार्गों पर सफर करने के दौरान अनुभवी चालकों को अवसर प्रदान करें ताकि संभावित दुर्घटनाओं से बचा जा सके। तमाम सावधानियां के बावजूद चार धाम मार्ग पर हर वर्ष दुर्घटनाएं देखने को मिलती हैं जो की काफी दुखद है और इससे कई परिवारों के घरों के चिराग बुझ जाते हैं। आने वाले समय में मानसून शुरू हो जाएगा इसके बाद पहाड़ों में बड़े पैमाने पर भूस्खलन एवं बादल फटने जैसी घटनाएं होती हैं। ऐसे समय में भी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति देखने को मिलती है जरूरी है कि श्रद्धालु आगामी मानसून के समय यात्रा पर आने के अपने कार्यक्रम को टालें। राज्य सरकार को भी यात्रा मार्ग पर राहत दलों को सतर्क रखना चाहिए और इनकी संख्या भी बढ़ानी चाहिए ताकि किसी भी दुर्घटना के समय तत्काल व्यवस्थाएं उपलब्ध हो सके एवं लोगों को जान की हानि से बचाया जा सके। यह भी जरूरी है कि परिवहन विभाग जगह-जगह पर चेक पोस्ट लगाए जाएं एवं मोबाइल टीमें चार धाम मार्ग पर नियमित रूप से दौड़ाई जाए जो वाहनों की गति एवं ओवरलोडिंग पर नियंत्रण कसे।

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