आदमखोर बाघ मारने के लिए निशानेबाजों को बुलाने पर पीसीसीएफ व मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से मांगा जवाब
नैनीताल । उत्तराखंड में शूटिंग आदि खेल के लिए दिए गए हथियारों के लाइसेंस वाले दूसरे राज्यों के शिकारियों को आदमखोर बाघ अथवा गुलदार मारने के लिए बुलाने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड के प्रमुख मुख्घ्य वन संरक्षक तथा उत्तराखंड के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट में पूछा है कि वन विभाग स्थानीय परिस्थितियों से वाकिफ अपने कर्मचारियों को इसके लिए वैध लाइसेंस क्यों नहीं देता?
गुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ में दिल्ली निवासी संगीता की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में आदमखोर घोषित हो चुके टाइगर, लैपर्ड को मारने के लिए उत्तर प्रदेश, तेलंगाना समेत अन्य राज्यों से निशानेबाज बुलाए जा रहे हैं। स्थानीय परिस्थितियों से वाकिफ नहीं होने की वजह से यह शिकारी आदमखोर के बजाय दूसरे बाघ को तक मौत के घाट उतार रहे हैं। इनके पास निशानेबाजी खेल के लिए हथियार का लाइसेंस दिया गया है। उन्हेंं जंगल या वन्यजीव के बारे में कुछ जानकारी नहीं होती। याचिका में वन विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने व आदमखोर बाघ या लैपर्ड मारने के लिए नियुक्त किया जाय, ताकि बाहरी राज्यों के शिकारियों पर हो रहे लाखों के खर्च से भी बचा जा सके।