कोटद्वार-पौड़ी

शहर में धड़ेल्ले से हो रहा पॉलीथिन का उपयोग

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। पॉलीथीन पर प्रतिबंध के बाद भी बाजारों में इसका सरेआम प्रचलन हैरत करने वाला कहा जाएगा। नगर निगम की ओर से पिछले छ: माह से पॉलीथीन के खिलाफ अभियान भी नहीं चलाया गया। जिस कारण शहर में धड़ल्ले से पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है।
पर्यावरण के लिहाज से देखा जाए तो पॉलीथीन सबसे अधिक नुकसानदेह साबित हो चुकी है। यह मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को नुकसान पहुंचाता है। सीवर, नदी, नालों से होता हुआ बड़ी नदियों तक पहुंचकर पानी की स्वच्छता को नुकसान पहुंचाने का कारक बनता है। पॉलीथीन से होने वाले नुकसान को एक तरफ रखकर यदि हम इस पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर सरकारी आदेशों की बात करें तो केवल पॉलीथीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा देने मात्र से ही क्या पब्लिक इसका उपयोग बंद कर देगी, थोड़ा संशय जरूर होता है। जबकि सही मायने में पॉलीथीन का पूरी तरह से प्रयोग रोकने के लिए इसके निर्माण को ही प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए। इस ओर सरकार द्वारा प्रयास होता हुआ कहीं से भी नजर नहीं आ रहा हैं। सही मायने में किसी भी स्तर से पॉलीथीन का प्रयोग मानव समाज के लिए घातक ही साबित हो रहा है। हालांकि यह भी जरूरी है कि पॉलीथीन से होने वाले फायदों को देखते हुए इसके विकल्प को भी तलाशना जरूरी है। मसलन बरसात में यदि कोई भीगने से बचने का जतन करता है तो पॉलीथीन से बनी वस्तु सबसे असरकारक साबित होती है। बरसाती जो कि बारिश में भिगने से बचाने का एक साधन है, इसके साथ ही तमाम अन्य चीजों में पॉलीथीन का प्रयोग बदस्तूर होता है। पॉलीथिन के दुष्प्रभाव को देखते हुए विदेशों में तो नुकसानदायक पॉलीथिन निर्माण पर ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है। केवल स्तरीय पॉलीथीन का ही निर्माण होता है और उसे ही बाजारों में प्रयोग में लाया जाता है। यहां देश में पॉलीथन से होने वाले नुकसान से हम सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं, मगर फिर भी यदि पॉलीथिन से मोह नहीं छोड़ पा रहे तो इसके पीछे जागरूकता की कमी ही एक बड़ा कारण कहा जाएगा।
उधर, नगर निगम के नगर आयुक्त पीएल शाह का कहना है कि पॉलीथिन पर रोक लगाने के लिए जल्द ही अभियान चलाया जाएगा। पॉलीथिन का उपयोग करने वाले व्यापारियों का चालान किया जाएगा।  प्रतिबन्धित पॉलीथिन का उपयोग किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

सुरक्षित पर्यावरण के लिए बंद करना होगा पॉलीथिन का प्रयोग
कोटद्वार। अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए हवा और पानी साफ रखनी है तो पर्यावरण को सुरक्षित रखना होगा। कितने ही पेड़-पौधे लगा लिए जाएं या फिर पानी बचाएं जब तक प्लास्टिक व पॉलीथिन का प्रयोग बंद नहीं करेंगे पर्यावरण सुरक्षित नहीं रहेगा। प्लास्टिक मिट्टी, पानी में जाकर और जलने के बाद इससे निकलने वाली गैस पर्यावरण में जाकर पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य को नुकसान दे रही हैं। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए शासन से लेकर आम जनता तक प्रयास कर रही है। पौधरोपण करने के लिए समाजसेवी भी आगे आ रहे हैं, लेकिन पौधरोपण करने के बाद भी पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी पूरी नहीं होती है। पर्यावरण को सुरक्षित रखना है तो हमें प्लास्टिक के प्रयोग को बंद करना होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद भी हर जगह प्लास्टिक से बनने वाली पॉलीथिन का प्रयोग धडल्ले से हो रहा है, जबकि हर रूप में प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे घातक है। प्लास्टिक से जमीन की उर्वरक क्षमता घटती है। जिस जमीन में प्लास्टिक अधिक संख्या में चली जाती है उस जमीन की पानी सोखने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। उस जमीन पर खेती नहीं की जा सकती है।

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