कोटद्वार-पौड़ी

आग की घटनाओं को रोकने में प्रशासन की फूली सांस तो अब प्रधानों से मांगी मदद

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– बोले सभी को समझना होगा वन संपदा का महत्व व जंगली जानवरों का दर्द
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : जनपद के जंगलों में बढ़ती आग की घटनाओं को देखते हुए जिला प्रशासन के माथे पर भी बल पड़ने लगे हैं। प्रशासन व वन विभाग पूरी कोशिश कर चुका है, लेकिन आग की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। ऐसे में अब जिले के प्रधानों व सरपंचों से मदद की अपील की गई है। जिससे अमूल्य वन संपदा व जंगली जानवरों व पक्षियों को बचाया जा सके।
जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने प्रधानों/सरपंचों को पत्र लिखकर आग की घटनाओं की रोकथाम करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण जगंलों में इस कारण आग लगाते है कि आग लगने के बाद घास अच्छी उगती है जो धारणा बिल्कुल गलत है। उन्होंने बताया कि आग लगने से भूमि की उपरी परत जल जाती है जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है और मिट्टी की उपरी परत बरसात में बह कर नदी नालों में चली जाती है। इसके अतिरिक्त जंगलों/वनों में आग लगने से जंगली जानवर मानव बस्तियों की ओर पलायन करते हैं, जिससे मानव व जानवरों में संघर्ष की घटनाएं देखने को मिलती है।

जंगलों में पिकनिक मनाने वालों की करें शिकायत
जिलाधिकारी ने कहा कि कई लोग पिकनिक आदि के लिए नदी के किनारों/उंची धारों वाले इलाकों व जंगलों में आते हैं। यहां खाना बनाने के बाद वह लकड़ियों को बुझाना भूल जाते हैं, जिस कारण भी आग की घटनाएं घटित होती है। जिससे मुल्यावान वन सम्पदा क्षति, वन्य जीव हानि होने के साथ धूएं से प्रदूषण एवं अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है। जिलाधिकारी ने ऐसा करने वाले व्यक्तियों की आपदा कन्ट्रोल रूम नं0-01368-221840, अथवा पुलिस सहायता न0 112 पर शिकायत करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि सभी को भावनात्मक रूप से समझना होगा कि आग लगने से लाखों अरबों की वन संपदा नष्ट होने के साथ पशु-पक्षियों/जानवरों के छोटे बच्चे, जलकर मर सकते हैं। साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो वनाग्नि से पारंपरिक जल स्रोत भी सूख रहे हैं व बरसात के मौसम में वर्षा कम हो रही है।

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