उत्तराखंड

हाईकोर्ट शिफ्टिंग के विरोध में एकजुट हुए अधिवक्ता, की बैठक

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नैनीताल। उत्तराखंड अधिवक्ता संयुक्त मोर्चा की ओर से हाईकोर्ट बार एसोशिएसन के सभागार में मंगलवार को हाईकोर्ट शिफ्टिंग को लेकर एक बैठक बुलाई गई। इस दौरान हाईकोर्ट को अन्यत्र शिफ्ट न करने और नैनीताल में जन सुविधाओं को विकसित करने पर विचार विमर्श किया गया। इस दौरान अधिवक्ताओं ने पर्वतीय क्षेत्र से हाईकोर्ट को मैदान में शिफ्ट न करने की बात की। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष प्रशांत जोशी की अध्यक्षता में हुई सभा में अधिवक्ता रमन कुमार साह ने कहा कि उन्होंने पलायन व शिफ्टिंग के संबंध में सूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी थी। लेकिन, सूचना गोपनीय होने का कथन देते हुए सूचना अधिकारी की ओर से जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एमसी पंत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट की बैंच के संबंध में सुनवाई करते हुए कहा था, कि अब न्यायालयों में सुनवाई विडियो कन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब इसे आगे बढ़ाने का समय आ गया है। इसलिए हाईकोर्ट की बेंच की आश्यकता नहीं है। आंध्र प्रदेश के मामले में भी हाईकोर्ट की मुख्य पीठ को स्थानांतरित करने की मांग पर असहमति जताई। वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्व सांसद महेंद्र पाल ने स्थानीय विधायक समेत पहाड़ से हो रहे पलायन पर चिंतित विधायकों से मांग की, कि वह नैनीताल से हाईकोर्ट की शिफ्टिंग व पलायन के मुद्दे पर विधान सभा में प्रस्ताव रखें। पहाड़ से हाईकोर्ट व अन्य सरकारी दफ्तरों को मैदानी क्षेत्रों में शिफ्ट न किया जाए। लिहाजा पहाड़ी क्षेत्रों में जन सुविधाओं को विकसित करने की आवश्यक्ता है। इस मौके पर उत्तराखंड अधिवक्ता संयुक्त मोर्चा के संयोजक दुर्गासिंह मेहता, अधिवक्ता शीतल सेलवाल, नरेंद्र पपनै, शिवानंद भट्ट, भूपेंद्र प्रसाद, विजयलक्ष्मी फर्त्याल, एमएस भंडारी, सूरज पांडे, प्रेम सिंह सन, निरंजन भट्ट, अविदित नौलियाल, नितिन कार्की, त्रिलोचन पांडे, जेसी कर्नाटक आदि रहे।

 

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