शिवसेना विधानमंडल के बाद अब संगठन पर भी शिंदे का धावा, एकनाथ की बैठक में शामिल हुए 12 सांसद
मुंबई, एजेंसी। महाराष्ट्र में शिवसेना विधानमंडल दल में बड़ी फूट डालकर उद्घव सरकार गिराने के बाद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना संगठन पर भी धावा बोल दिया है। अपने गुट को ही असली शिवसेना बताते आ रहे शिंदे ने अब शिवसेना की पुरानी कार्यकारिणी बर्खास्त कर नई कार्यकारिणी घोषित कर दी है। शिवसेना उद्घव गुट की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए मतदान के तुरंत बाद विधानभवन के निकट स्थित एक पांच सितारा होटल में अपने गुट के विधायकों व कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाकर शिवसेना की पुरानी कार्यकारिणी बर्खास्त करते हुए नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। नई कार्यकारिणी में उनके गुट में पहले से शामिल विधायकों व नेताओं, जैसे- गुलाबराव पाटिल, उदय सामंत, शरद पोंक्षे, यशवंत जाधव, तानाजी सावंत, विजय नहाटा व शिवाजीराव आढलराव पाटिल उपनेता के रूप में शामिल किया गया है। लेकिन नई कार्यकारिणी घोषित करते हुए शिंदे ने उद्घव ठाकरे के ‘शिवसेना प्रमुख’ पद को हाथ भी नहीं लगाया है। शिंदे को नई कार्यकारिणी में शिवसेना के ‘मुख्य नेता’ का पद दिया गया है। शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्घव ठाकरे द्वारा मूल शिवसेना से निकाले गए दो नेताओं रामदास कदम व आनंदराव अडसूल को नई कार्यकारिणी में ‘नेता’ का पद दिया है।
बताया जा रहा है कि शिवसेना शिंदे गुट द्वारा बुलाई गई इस बैठक में शिवसेना के 19 में से 12 सांसद भी आनलाइन के जरिए एकनाथ शिंदे से जुड़े। विधानमंडल दल में बड़ी फूट के बाद अब सांसदों का इस प्रकार शिंदे की ओर झुकना उद्घव ठाकरे के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कुछ दिनों पहले इन्हीं सांसदों ने उद्घव ठाकरे पर दबाव बनाकर उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का निर्णय करने पर बाध्य कर दिया था। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सोमवार रात खुद भी दिल्ली जा रहे हैं। वहां इन बागी सांसदों से उनकी मुलाकात हो सकती है। इस मुलाकात के बाद संसद के चालू सत्र में ही बागी विधायक संसद में कोई नया गुल खिला सकते हैं। वे अपना अलग गुट बनाकर लोकसभा अध्यक्ष से उसे मान्यता देने की मांग कर सकते हैं।
शिवसेना को एकनाथ शिंदे द्वारा संगठनात्मक स्तर पर भी झटका दिए जाने के बाद पार्टी संसदीय दल के नेता संजय राउत ने इसे कामेडी एक्सप्रेस सीजन-2 करार दिया है। उन्होंने सवाल उठाया है कि जिन लोगों पर अभी भी सर्वोच्च न्यायालय की कार्रवाई की तलवार लटक रही है, वे इस प्रकार का निर्णय किस अधिकार से ले सकते हैं ? राउत ने कहा कि इस प्रकार की जो खबरें आ रही हैं, हमने उसके संबंध में पार्टी प्रमुख उद्घव ठाकरे से चर्चा की है। अब तक जिन लोगों ने दो लोगों का गैरकानूनी मंत्रिमंडल स्थापित किया। जिन लोगों पर सर्वोच्च न्यायालय की कार्रवाई की तलवार लटक रही है। राउत के अनुसार शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने जिन 16 विधायकों को अपात्र ठहराने की मांग सर्वोच्च न्यायालय से की है, उनमें पहला नाम एकनाथ शिंदे का है। वे अपने विधायकों को संभालने के लिए इस प्रकार के निर्णय कर रहे हैं। राउत ने कहा कि शिवसेना की कार्यकारिणी बालासाहब ठाकरे की स्थापित की हुई है। शिवसेना एक पंजीत दल है। यह कोई गुट नहीं है। जबकि वे (शिंदे गुट) पंजीत नहीं हैं। तो वे कैसे पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को बर्खास्त कर सकते हैं। शिवसेना आश्वस्त है कि उसे सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिलेगा। जिस दिन शिवसेना प्रमुख उद्घव ठाकरे महाराष्ट्र का दौरा शुरू करेंगे, उस दिन तूफान आता दिखाई देगा। राउत ने 12 सांसदों द्वारा इंटरनेट के जरिए शिंदे से संपर्क करने को भी अफवाह करार दिया। उन्होंने कहा कि ये सांसद यदि लोकसभा में अलग गुट बनाएंगे तो उन पर भी नियमानुसार कार्रवाई होगी।
इस बीच, शिवसेना प्रमुख उद्घव ठाकरे ने मूल शिवसेना से दो वरिष्ठ नेताओं पूर्व मंत्री रामदास कदम एवं पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। रामदास कदम न सिर्फ तीन बार मंत्री रहे हैं, बल्कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभा चुके हैं। वह कोकण के रत्नागिरि क्षेत्र में शिवसेना के मजबूत स्तंभ माने जाते रहे हैं। लेकिन हाल ही में दापोली क्षेत्र से विधायक उनके पुत्र योगेश शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। रामदास कदम ने भी आज उद्घव ठाकरे द्वारा खुद को शिवसेना से निष्कासित किए जाने से पहले खुद ही शिवसेना छोड़ने की घोषणा कर दी थी। उनके भाजपा में जाने की संभावना जताई जा रही है। पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल भी कुछ दिन पहले ही शिवसेना छोड़ने की घोषणा कर चुके हैं।
एकनाथ शिंदे ने भले ही शिवसेना के विधानमंडल दल के साथ-साथ संसदीय दल में भी बड़ी सेंध लगा ली हो। उद्घव ठाकरे की सरकार गिराकर अपनी सरकार भी बना ली हो, लेकिन लगभग 55 साल पुरानी शिवसेना के संगठात्मक ढांचे पर कब्जा करना उनके लिए भी आसान नहीं होगा। क्योंकि शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे ने शिवसेना का संगठनात्मक ढांचा ही ऐसा खड़ा किया है।
महाराष्ट्र के जिले-जिले में अपनी शाखाओं व शाखा प्रमुखों के मजबूत आधार पर खड़ी शिवसेना में शिवसेना प्रमुख यानी उद्घव ठाकरे के नीचे 12 नेता, 30 उपनेता, पांच सचिव, दो मुख्य प्रवक्ता- राज्य सभा सदस्य संजय राउत व लोकसभा सदस्य अरविंद सावंत व 10 प्रवक्ता हैं। शिवसेना के संगठन को मजबूती देने में उसके आनुषांगिक संगठनों की भी बड़ी भूमिका रही है। ये आनुषंगिक संगठन हैं- युवा सेना, महिला आघाड़ी, भारतीय कामगार सेना व स्थानीय लोकाधिकार समिति महासंघ। जब तक शिंदे इन सभी संगठनों में अपनी पैठ नहीं बना पाते, तब तक शिवसेना के मूल संगठन पर कब्जा कर पाना उनके लिए टेढ़ी खीर ही साबित होगा।