गेहूं के बाद चीनी की बारी, बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए सरकार कर सकती है निर्यात को सीमित
नई दिल्ली, एजेंसी। वित्त मंत्रालय महंगाई पर लगाम के लिए अभी और फैसले ले सकता है। इनमें चीनी निर्यात को सीमित करने के साथ कटन आयात को शुल्क मुक्त करना शामिल हो सकता है। खाद्य तेल के आयात पर लगने वाले सेस में भी कटौती संभव है। इन सभी मामले में मंत्रालय गंभीरता से विचार कर रहा है।
सरकार की प्राथमिकता फिलहाल हर हाल में महंगाई को काबू में लाना है। दूसरी तरफ इकरा का अनुमान है कि गत शनिवार को पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती के साथ कई कच्चे माल के आयात शुल्क में कमी से मई महीने में महंगाई दर घटकर सात फीसद तक हो सकती है।
अप्रैल माह की खुदरा महंगाई दर 7़78 फीसद के साथ वर्ष 2014 मई के बाद अपने उच्चतम स्तर है। जरूरी चीजों की कीमतें कम होने से गैर जरूरी चीजों की खपत में बढ़ोतरी होगी जिससे मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ेगा।खुदरा महंगाई दर के पिछले चार महीनों से छह फीसद से अधिक रहने से विकास दर के प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है। हालांकि फिलहाल की महंगाई दर मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन युद्घ की वजह से सप्लाई चेन बाधित होने कारण बढ़ी हुई है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार अब चीनी निर्यात को सीमित कर सकती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू चीनी सीजन 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में अब तक 75 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है और इसे 100 लाख टन तक सीमित किया जा सकता है। अभी चीनी की खुदरा कीमत 41़50 रुपए प्रति किलोग्राम है जो अगले कुछ महीनों में 40-43 रुपए प्रति किलोग्राम तक रह सकती है। लेकिन निर्यात बढ़ने पर इस कीमत में और इजाफा हो सकता है। खुदरा महंगाई को मापने में कपड़ों को भी शामिल किया जाता है, इसलिए कपड़ों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार कटन के आयात को शुल्क मुक्त कर सकती है ताकि घरेलू गारमेंट निर्माता को सस्ती दरों पर कटन यार्न मिल सके।
कटन के महंगा होने से कटन यार्न की कीमतें भी बढ़ जाती है और निर्यात की भारी मांग से भी कटन और कटन यार्न की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। दो तिमाही पहले घरेलू बाजार में कटन की कीमत 55,000 रुपए प्रति र्केडी (356 किलोग्राम) थी जो अभी 1़10 लाख रुपए प्रति र्केडी तक पहुंच गई है। कटन सप्लाई कम रहने पर यह कीमत 1़25 लाख रुपए प्रति र्केडी हो सकती है। टेक्सटाइल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से कटन के आयात को शुल्क मुक्त करने की सिफारिश की है।
वैसे ही सरकार खाद्य तेल को सस्ता करने के लिए कच्चे सोयाबीन और कच्चे सनफ्लावर तेल के आयात पर लगने वाले षि सेस में कटौती कर सकती है। अभी यह सेस 5़5 फीसद है। फरवरी में इस सेस में 2़5 फीसद की कटौती की गई थी। भारत अपनी जरूरत का 60 फीसद खाद्य तेल का आयात करता ह