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एम्स साइबर अटैेक: किसका डेटा लीक! पूर्व राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री तक कई वीवीआईपी रहे हैं भर्ती

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नई दिल्ली, एजेंसी। एम्स में सामान्य लोगों से लेकर देश के टप वीवीआईपी तक का इलाज हुआ है। अगर उनकी केस हिस्ट्री भी डिजिटल रही है और वह साइबर हमलावरों के हाथ लगी है तो वे उस डेटा का किसी भी तरह से दुरुपयोग कर सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व पीएम ड़ा मनमोहन सिंह, कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई बड़े वीवीआईपी एम्स में भर्ती रहे हैं। इनके अलावा केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारी और जवानों का इलाज भी एम्स में होता रहा है।
दिल्ली स्थित एम्स के रेनसमवेयर साइबर अटैक की जांच के लिए अब कई केंद्रीय एजेंसियां जुटी हैं। एम्स का अनलाइन सिस्टम इतनी बुरी तरह से हैकरों का शिकार हुआ है कि वह चार दिन बाद भी पटरी पर नहीं आ सका। सूत्रों का कहना है कि जांच टीमें, डेटा निकलने का ठीक से अंदाजा भी नहीं लगा पाई हैं। हैकरों की तरफ से रेनसम यानी फिरौती की मांग की गई है। सरकार की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई पहल नहीं हुई है।
यह मालूम किया जा रहा है कि एम्स में जो बैकअप डेटा है, क्या वो पूरी तरह से ठीक है। उसकी किसी फाइल तक तो हैकर नहीं पहुंचे हैं। आईआईटी दिल्ली से साइबर सिक्योरिटी विषय में पीएचडी एवं पूर्व आईपीएस ड़ मुक्तेश चंद्र बताते हैं कि इस तरह के साइबर हमलों में दो ही बातें होती हैं। एक, या तो हैकरों की रेनसम देने की मांग मान ली जाती है। दूसरा, अगर सरकार या किसी संस्थान के पास बैकअप डेटा मौजूद है तो वह रेनसम नहीं देते हैं। इसके बाद हैकरों के पास एक ही विकल्प बचता है कि वह चुराए गए डेटा को बेच देते हैं। अगर उनमें कोई वीवीआईपी है तो उसके डेटा का कुछ हद तक दुरुपयोग संभव है। वह डेटा, डार्क वेब पर डाला जा सकता है। बतौर ड़ मुक्तेश, अगर किसी व्यक्ति को कोई ऐसी बीमारी है जिसे वह सार्वजनिक नहीं करना चाहता तो डेटा चोरी में उसे नुकसान हो सकता है।
हैकर किसी ऐसे व्यक्ति या संगठन को वह डेटा बेच सकते हैं, जो उसका अपने तरीके से फायदा उठाने की क्षमता रखता है। जानकारों का कहना है कि अभी तक भारत सरकार की पलिसी यही रही है कि ऐसे मामले में पैसे न दिए जाएं। अगर एम्स में बैकअप फाइल मौजूद है और वह साइबर हमले में बच गई है तो रेनसम मांगने वालों से बात नहीं की जाएगी। पांच साल पहले जब ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सिस्टम एनएचएस पर रेनसमवेयर साइबर अटैक हुआ था, तो 14 दिन तक सारा सिस्टम ठप हो गया था। मैनुअल तरीके से काम करना पड़ा। भारत में चार साल पहले तक 48 हजार से ज्यादा श्वेनाक्राई रेनसमवेयर अटैकश् डिटेक्ट हुए थे। इतना कुछ होने के बाद भी देश में साइबर अटैक से बचने का कोई प्रभावी सिस्टम तैयार नहीं हो सका है।

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