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ताइवान पर बढ़ते तनाव के बीच जयशंकर की बैठकों का दौर, आसियान देशों के विदेश मंत्रियों के साथ भी हुई अलग से मीटिंग नई दिल्ली, एजेंसी। ताइवान को लेकर चीन की तरफ से बेहद आक्रामक रवैया अपनाये जाने के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर की गुरुवार को दो महत्वपूर्ण बैठकें हुई। आसियान देशों के विदेश मंत्रियों की कंबोडिया में हो रही बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे जयशंकर की पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन के साथ बैठक हुई जिसमें सभी क्षेत्रीय व बहुपक्षीय वैश्विक मुद्दों को लेकर चर्चा हुई है। इसके बाद जयशंकर की आसियान देशों के विदेश मंत्रियों के साथ अलग से बैठक हुई जिसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों पर खास तौर पर चर्चा हुई है। आधिकारिक तौर पर भारत की तरफ से जो सूचना दी गई है उसमें इस बात का जिक्र नहीं है कि विदेश मंत्री की उक्त नेताओं के साथ ताइवान मुद्दे पर बात हुई है। हालांकि आसियान बैठक में ताइवान का मुद्दा छाया हुआ है। आसियान विदेश मंत्रियों के साथ बैठक करने के लिए दुनिया के तमाम दिग्गज देशों के विदेश मंत्री अभी कंबोडिया की राजधानी फेन-पेह पहुंचे हैं। अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद वहां के हालात काफी गंभीर है। चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेर कर बेहद आक्रामक तरीके से सैन्य अभ्यास कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्री से मुलाकात से पहले आसियान (दक्षिण एशियाई देशों का सहयोग संगठन) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी कर चीन और अमेरिका से आग्रह किया गया है कि वो तनाव को कम करने के लिए दूरदर्शिता व संयम दिखाएं। दस सदस्यीय आसियान के कुछ देश चीन के खेमे में हैं जबकि कुछ देश अमेरिका के साथ हैं। म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया खास तौर पर चीन के साथ हैं। आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक के बारे में जयशंकर ने बताया है कि मुख्य तौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के अलावा यूक्रेन व म्यांमार के मुद्दे पर बात हुई है। इसके अलावा कनेक्टिविटी परियोजनाओं, कोविड महामारी और साइबर सिक्यूरिटी के मुद्दे पर बात हुई है। डिजिटल हेल्थ, एग्रीकल्चर एजुकेशन और ग्रीन ग्रोथ कुछ दूसरे मुद्दे हैं जिसका रोडमैप बनाने को लेकर दोनो पक्षों के बीच बात हुई है। जबकि ब्लिंकन व जयशंकर के बीच हुई बातचीत के बारे में बताया गया है कि इसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र के अलावा श्रीलंका को मदद देने के बारे में बात हुई है। दोनो देशों ने कहा है कि वो श्रीलंका की जनता के साथ हैं और उन्हें जल्द से जल्द मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने के लिए कोशिश करेंगे। बाद में जयशंकर की श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी के साथ भी अलग से मुलाकात हुई है।

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नई दिल्ली, एजेंसी। ताइवान को लेकर चीन की तरफ से बेहद आक्रामक रवैया अपनाये जाने के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर की गुरुवार को दो महत्वपूर्ण बैठकें हुई। आसियान देशों के विदेश मंत्रियों की कंबोडिया में हो रही बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे जयशंकर की पहले अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन के साथ बैठक हुई जिसमें सभी क्षेत्रीय व बहुपक्षीय वैश्विक मुद्दों को लेकर चर्चा हुई है। इसके बाद जयशंकर की आसियान देशों के विदेश मंत्रियों के साथ अलग से बैठक हुई जिसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों पर खास तौर पर चर्चा हुई है।
आधिकारिक तौर पर भारत की तरफ से जो सूचना दी गई है उसमें इस बात का जिक्र नहीं है कि विदेश मंत्री की उक्त नेताओं के साथ ताइवान मुद्दे पर बात हुई है। हालांकि आसियान बैठक में ताइवान का मुद्दा छाया हुआ है। आसियान विदेश मंत्रियों के साथ बैठक करने के लिए दुनिया के तमाम दिग्गज देशों के विदेश मंत्री अभी कंबोडिया की राजधानी फेन-पेह पहुंचे हैं। अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद वहां के हालात काफी गंभीर है।
चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेर कर बेहद आक्रामक तरीके से सैन्य अभ्यास कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्री से मुलाकात से पहले आसियान (दक्षिण एशियाई देशों का सहयोग संगठन) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी कर चीन और अमेरिका से आग्रह किया गया है कि वो तनाव को कम करने के लिए दूरदर्शिता व संयम दिखाएं। दस सदस्यीय आसियान के कुछ देश चीन के खेमे में हैं जबकि कुछ देश अमेरिका के साथ हैं। म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया खास तौर पर चीन के साथ हैं।
आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक के बारे में जयशंकर ने बताया है कि मुख्य तौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के अलावा यूक्रेन व म्यांमार के मुद्दे पर बात हुई है। इसके अलावा कनेक्टिविटी परियोजनाओं, कोविड महामारी और साइबर सिक्यूरिटी के मुद्दे पर बात हुई है। डिजिटल हेल्थ, एग्रीकल्चर एजुकेशन और ग्रीन ग्रोथ कुछ दूसरे मुद्दे हैं जिसका रोडमैप बनाने को लेकर दोनो पक्षों के बीच बात हुई है। जबकि ब्लिंकन व जयशंकर के बीच हुई बातचीत के बारे में बताया गया है कि इसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र के अलावा श्रीलंका को मदद देने के बारे में बात हुई है। दोनो देशों ने कहा है कि वो श्रीलंका की जनता के साथ हैं और उन्हें जल्द से जल्द मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने के लिए कोशिश करेंगे। बाद में जयशंकर की श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी के साथ भी अलग से मुलाकात हुई है।

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