उत्तराखंड

हेलंग घटना को लेकर लोगों में रोष

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बागेश्वर। जोशीमठ के हेलंग गांव में घास ला रही महिला के साथ हुई बदसलूकी की घटना की विभिन्न संगठनों ने निंदा की है। उन्होंने कहा कि जनता को उनके जल, जंगल और जमीन के परंपरागत अधिकारों पर हमला कर वंचित किया जा रहा है। मंगलवार को सवाल संगठन ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में कहा कि बीते 15 जुलाई को हेलंग गांव में जंगल से घास ला रही महिलाओं से केवल घास के गट्ठर छीनने का प्रयास ही नहीं हुआ। पुलिस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने उन्हें रुला भी दिया था। छीना-झपटी भी की गई। इंटरनेट मीडिया पर वायरल वीडियो इसका साक्ष्य है। महिलाओं के आंदोलन और कुर्बानी की बदोलत राज्य मिला। उनका उत्पीड़न दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर हजारों नाली नाप भूमि, जंगल, चरागाह, पनघट, मरघट, पंचायत की भूमि कंपनियों को पहले ही दे दी गई है। कंपनियों की नियत लोगों की सामूहिक हक-हकूक की भूमि हड़प लेने की है। घास, चार, लकड़ी का संकट पैदा हो गया है। विष्णुगाणड़-पीपलकोटी परियोजना के तहत हेलंग में सुरंग बनाने का कार्य कर रही कंपनी ने खेल मैदान बनाने के नाम पर उसे डिपंग जोन बनाया है। हरे पेड़ काट दिए गए और चारागाह के अंतिम विकल्प को भी खत्म किया जा रहा है। मलबा सीधे अलकनंदा नदी में चला जाएगा। उन्होंने कहा कि आपदा के लिहाज से चमोली जिला संवेदनशील है। इस मौके पर रमेश पांडे षक, भास्कर तिवारी, मनोज कुमार, सुंदर सिंह, नीमा देवी आदि मौजूद थे।

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