अयोध्या, मथुरा, काशी के विद्वान कराएंगे श्रीराम मंदिर के लिए भूमि पूजन
अयोध्या। सनातन धर्म में अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका को मोक्ष और देवों की नगरी कहा गया है, इन्हीं देवनगरियों की विद्घता का संगम पांच अगस्त को होगा। अवसर होगा चिर अभिलाषित श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन का। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भूमि पूजन करेंगे और यह महती अनुष्ठान संपन्न कराने का दायित्व अयोध्या, मथुरा एवं काशी के 21 चुनिंदा वैदिक विद्वान संभालेंगे। वेदज्ञों की टोली का नेतृत्व बनारस के दिग्गज आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित की टीम करेगी। टोली में अयोध्या के पांच वैदिक आचार्य होंगे और बाकी मथुरा एवं काशी के होंगे।
भूमि पूजन के अनुष्ठान में सभी तीर्थों, मोक्षदायिनी नगरियों एवं चारो धाम की मिट्टी तथा जल प्रयुक्त होगा। श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य एवं भूमिपूजन समारोह के अनुष्ठान संयोजक बनाये गए पुणे के दिग्गज प्रवचनकर्ता गोविंददेव गिरि के अनुसार यह अवसर प्रचार-प्रसार का सबब न होकर अखंड ब्रह्मांड नायक प्रभु राम की जन्मभूमि पर 492 वर्ष बाद भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण का महान अवसर है और इस अवसर पर वैदिक विधि-विधान का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि भूमि पूजन वैदिक परंपरा के पालन और उसके प्रति गहन अनुराग की मिसाल बनने के साथ रामभक्तों की विशद् परिधि को भी अनुप्राणित करने वाला है।
भूमि पूजन की यह व्यापकता तीर्थों और धामों के अलावा देश के सभी प्रमुख मठ-मंदिरों की रज और जल एकत्रीकरण से हो रही है। यह मुहिम विहिप एवं संघ कार्यकर्ताओं के संयोजन में देश के शहर-शहर में शुरू भी हो चुकी है। रज और जल ताम्र कलशों में पूजित करा विभिन्न प्रमुख मठ-मंदिरों से अयोध्या भेजे जाने की तैयारी है।
मुहूर्त में कोई शास्त्रीय बाधा नहीं रू भूमि पूजन के अनुष्ठान प्रमुख स्वामी गोविंददेव गिरि दूरभाष पर दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान उन लोगों को जवाब देने से नहीं चूके जो भूमिपूजन के मुहूर्त पर सवाल उठा रहे हैं। वे जाने-माने खगोल शास्त्री पं. गंगाधर पाठक का हवाला देकर बताते हैं, भूमिपूजन के लिए पांच अगस्त के मुहूर्त में कोई शास्त्रीय बाधा नहीं है। गृहाद्यारंभ के लिए भाद्रपद को निषिद्घ बताया गया है, पर यह तब प्रभावी होगा, जब इस मास में सूर्य कन्या राशि में हो, जबकि भद्रमास की जिस तारीख में भूमिपूजन होगा, उस समय सूर्य कन्या में न होकर कर्क राशिस्थ होगा। स्पष्ट किया गया है कि माह मान से नहीं सूर्य मान से ही नींव का खनन होना चाहिए।