बिन बारिश सूखने लगे हैं बांज के जंगल
-कंडोलिया क्षेत्र के जंगल में सूखने लगी हैं बांज की पत्तियां
-जबकि इस मौसम में आती हैं बांज की नई कोंपले
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। बारिश कम होने का प्रभाव बांज के जंगलों पर साफ दिखाई देना लगा है। बांज की पत्तियां सूखने लगी है। जबकि यह समय बांज के पेड़ में नई पत्तियों के आने का है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्ष मानसून में भी अपेक्षाकृत कम बारिश व सर्दियों में हिमपात न होने से जल स्रोत रीचार्ज नहीं हो पाए हैं। जिससे वनों में नमी नहीं रह गई है।
जंगलों की आग से जूझ रहे वनों पर अब पानी की कमी की दोहरी मार पड़ रही है। अधिकांश जंगल आग की चपेट में आने से जलकर खाक हो चुके हैं। वहीं अब बांज के जंगल भी सूखने की कगार पर पहुंच गए है। कंडोलिया क्षेत्र में बांज के पेड़ों की पत्तियां सूख कर गिर रही है। जबकि यह समय बांज के पेड़ पर नई पत्तियों के आने का है। लेकिन यहां बांज के पेड़ हरे होने के बजाय सूख रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जंगल में जल स्रोत वर्ष में दो बार बरसात व सर्दियों में रीचार्ज होते हैं। लेकिन पिछली बार मानसून में भी अपेक्षाकृत बहुत कम बारिश हुई थी, सर्दियों में न तो बारिश हुई और न ही हिमपात। जिससे जंगलों में जलस्रोतों में नमी बिल्कुल नहीं रह गई है। पानी के कमी के चलते बांज की पत्तियां सूख रही है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चीड़़ के जंगलों की आग जैसे ही बांज के जंगल तक पहंंचती थी, यहां नमी होने के कारण जंगल की आग धीमी पड़ जाती थी। लेकिन इस बार बांज के जंगलों में भी सूखापन होने से आग भड़क रही है। कंडोलिया क्षेत्र में अधिकांश बांज की पत्तियां सूख गई हैं।
क्या कहते है रेंजर
राखी जुयाल वन क्षेत्राधिकारी पोखड़ा रेंज का कहना है कि वनों में मानसून व सर्दियों की बारिश से जल स्रोत रीचार्ज होते हैं। जिससे वनों में नमी रहती है। लेकिन मानसून व सर्दियों में बारिश न के बराबर होने से जंगलों में नमी नहीं हैं। जिससे बांज के पेड़ों की पत्तियों सूख रही है।