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पंचतत्व में विलीन हुए पर्वत पुत्र बिपिन रावत

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-देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी
-दोनों बेटियों ने दी पिता बिपिन रावत व मां मधुलिका को मुखाग्नि
नई दिल्ली, एजेंसी : हेलीकाप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले सेना के सबसे बड़े अधिकारी चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका का पूरे सैन्य सम्मान के साथ दिल्ली कैंट के बरार स्क्वायर स्थित श्मशान भूमि में शुक्रवार शाम पांच बजे अंतिम संस्कार किया गया। यहां पर जनरल रावत को 17 तोपों की सलामी देने के साथ ही 33 सैन्यकर्मियों ने आखिरी विदाई दी। श्मशान भूमि परिसर में मौजूद लोगों की नम आंखों के साथ ही पूरा देश अपने इस बहादुर आफिसर को आखिरी विदाई दे रहा था।
अंतिम संस्कार के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कई पूर्व सेना अध्यक्ष, फ्रांस, बांग्लादेश, भूटान के अलावा अन्य देशों के अधिकारी के साथ ही सेना के आठ सौ जवान मौजूद रहे। इससे पहले सुबह नौ बजे इसी हादसे में जान गंवाने वाले ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर का अंतिम संस्कार भी यहीं पर किया गया। ब्रिगेडियर लिड्डर को श्रद्धांजलि देने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सुबह ही श्मशान भूमि पहुंचे थे।
कामराज मार्ग स्थित जनरल रावत के आवास से दोपहर करीब सवा दो बजे अंतिम यात्रा शुरू हुई। जनरल रावत को सर्वोच्च सम्मान देते हुए उनका पार्थिव शरीर गन कैरेज पर बरार स्क्वायर तक लाया गया। गन कैरेज के आगे व पीछे तीनों सेना के 99-99 जवान साथ चल रहे थे। साथ ही हजारों लोगों का हुजूम हाथ में तिरंगा व भारत माता की जय के नारे के साथ अपने वीर सपूत को श्रद्धांजलि दे रहा था।
बरार स्क्वायर पर पार्थिव शरीर 3:35 बजे पहुंचा। पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद सेना के तीनों अंगों की टुकड़ियों ने सलामी दी। इसके बाद पार्थिव शरीर को श्मशान भूमि ले जाया गया। यहां करीब एक घंटे तक पूर्व सैन्य अधिकारी, सैन्य अधिकारी सहित अन्य प्रमुख लोगों ने श्रद्धांजलि दी। इसके बाद बेटी कृतिका व तारिणी ने जनरल बिपिन रावत व मधुलिका रावत को मुखाग्नि दी। सुबह ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर को भी उनकी बेटी ने ही मुखाग्नि दी थी। इस दौरान हर शख्स की आंखें नम थी।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत की अंतिम यात्रा में शामिल हुए चार देशों के टॉप कमांडर
नई दिल्ली, एजेंसी : देश के शीर्ष सैन्य अधिकारी सीडीएस जनरल बिपिन रावत की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए हैं। 3, कामराज मार्ग से निकली अंतिम यात्रा में लोग कई जगहों पर नम आंखों के साथ पुष्पवर्षा करते दिखे। इस अंतिम यात्रा में आम लोगों के साथ ही पड़ोसी देश श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश और नेपाल के टॉप कमांडर भी शामिल हुए।
इस दौरान पाकिस्तान के उच्चायोग में तैनात सुरक्षा सलाहकार भी जनरल रावत को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर पर पहुंचे थे। सीडीएस जनरल रावत की अंतिम यात्रा में शामिल होने जनरल शेवेंद्र सिल्वा भी पहुंचे, जो श्रीलंका के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ हैं और आर्मी कमांडर हैं। इसके अलावा रॉयल भूटान आर्मी के डिप्टी चीफ ऑपरेशंस ऑफिसर ब्रिगेडियर दोरजी रिंचेन भी शामिल हुए। नेपाली सेना के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल बालकृष्ण कार्की भी शामिल हुए। यही नहीं बांग्लादेश के प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल वाकिर-उज-जमान भी अंतिम यात्रा में थे।
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक जनरल रावत की अंतिम यात्रा में श्रीलंका के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ एडमिरल रविंद्र चंद्रश्री विजेगुणारत्ने भी पहुंचे। वह जनरल रावत के कोर्स मेट थे और उनके करीबी दोस्तों में से एक थे।
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जब अंतिम यात्रा पर निकले बिपिन रावत तो रो पड़ा पूरा देश
नई दिल्ली, एजेंसी : दोपहर दो बजे के करीब जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी की अंतिम यात्रा उनके 3, कामराज स्थित घर से शुरू हुई। इससे पहले सुबह जनरल बिपिन रावत के घर पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, किसान नेता राकेश टिकैत जैसी हस्तियां पहुंचीं और उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की। अंतिम यात्रा के दौरान हजारों की संख्या में लोग नम आंखों के साथ नायक को अंतिम विदाई दे रहे थे। जनरल रावत अमर रहें, वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारों के बीच बिपिन रावत की अंतिम यात्रा निकली। इस दौरान आर्मी बैंड की धुन भी बजती रही।
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कौन होगा अगला चीफ आफ डिफेंस स्टाफ…
नई दिल्ली, एजेंसी : जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) थे। हेलीकाप्टर हादसे में उनकी मृत्यु के बाद सीडीएस का पद खाली हो गया है। अब इसे लेकर चचाएं शुरू हो गई हैं कि अगला सीडीएस कौन होगा। वैसे तो इस पद के लिए कई नामों को लेकर विचार किया जा रहा है, लेकिन थलसेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे का नाम इसमें सबसे आगे चल रहा है। अप्रैल में वे सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
सीडीएस एक चार स्टार सैन्य अधिकारी होता है, जो भारतीय सेनाओं के अधिकारयों में से चुना जाता है। अगले सीडीएस की नियुक्ति को लेकर जानकारी मिली है कि सरकार थलसेना, वायुसेना और नौसेना के वरिष्ठ कमांडरों के नामों का एक पैनल बनाएगी। तीनों सेनाओं की सिफारिशों के अधार पर इस पैनल को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसमें दो से तीन दिन का समय लगेगा। इसके बाद इसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। उनकी स्वीकृति के बाद ये नाम विचार के लिए नियुक्ति संबंधी कैबिनेट समिति के पास भेजे जाएंगे जो देश के अगले सीडीएस पर अंतिम निर्णय लेगी।
जानकारों के मुताबिक, सीडीएस की नियुक्ति के लिए भी उसी प्रोटोकोल का पालन किया जाएगा, जो तीनों सेनाओं के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए निर्धारित है। लद्दाख में गतिरोध से निपटने समेत समग्र प्रदर्शन के आधार पर सीडीएस के रूप में जनरल नरवणे की नियुक्ति की संभावना अधिक है। इसके अलावा वह तीनों सेना प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ हैं।

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जनरल नरवणे की सीडीएस बनने की पूरी संभावना
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने 31 दिसंबर, 2019 को थलसेना प्रमुख का पद संभाला था और अगले साल अप्रैल में वे सेवानिवृत्त होने वाले हैं। वहीं, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने इसी साल सितंबर जबकि नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने नवंबर में पदभार संभाला है। साथ ही सैन्य योजनाकारों के एक प्रभावशाली वर्ग का मानना रहा है कि सीडीएस थलसेना से ही होना चाहिए, कम से कम जब तक महत्वाकांक्षी रक्षा सुधारों के तहत थिएटर कमानों की निर्माण प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।

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