कोटद्वार-पौड़ी

गुरुकुल के ब्रह्मचारियों व संस्कृत भारती ने निकाली जागरूकता रैली

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आमजन को जीवन में संस्कृत के महत्व के बारे में दी जानकारी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : संस्कृत दिवस की पूर्व संध्या पर परमार्थ निकेतन गुरुकुल आश्रम व संस्कृत भारती की ओर से जागरूकता रैली निकाली गई। रैली के माध्यम से विद्यार्थियों ने आमजन को संस्कृत भाषा के बारे में बताया। इस दौरान ब्रह्मचारियों का यज्ञोंपवीत संस्कार भी किया गया।
सभी ब्रह्मचारियों ने यज्ञोपवीत संस्कार में गायत्री मंत्र और सूर्य भगवान का ध्यान कर यज्ञोपवीत धारण किया। विद्यालय के मुख्य आचार्य मनमोहन नौटियाल के निर्देशन में सभी छात्रों, आश्रमवासियों और अभिभावकों ने हवन किया। संस्कृत दिवस के कार्यक्रम में छात्रों ने श्रीमद्भ भगवतगीता अंत्याक्षरी, आशुभाषण, श्लोकोच्चारण व नृत्य आदि प्रस्तुत किए। आचार्य मनमोहन नौटियाल ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत की आत्मा है और संस्कृत से ही भारत की प्रतिष्ठा है। संस्कृत के प्रति छात्रों की कम होती जिज्ञासा एक चिंतनीय प्रश्न है।’सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:’ की सूक्ति हम भारतीय सनातनी ही हैं, जो सब की मंगल कामना के लिए प्रार्थना करते हैं। संंस्कृत भारती जनपद प्रचारक आचार्य सिद्धार्थ नैथानी ने कहा कि “भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा” राष्ट्र की उन्नति के लिए संस्कृत भाषा आवश्यक है। हमारे पुराण व उपनिषद् हमें जीवन का पाठ सिखाते हैं कि किस प्रकार हमें जीवन को सार्थक करना है।’वसुधैव कुटुम्बकम्’ की उक्ति हो या ‘सह नाववतु सह नौ भुनक्तु जैसी परंपराओं से हम सभी को एक सूत्र में बिना किसी भेदभाव के परिवार जैसे मिलकर रहने को कहती हैं। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय स्तर में संस्कृत ओलिम्पियाड का आयोजन संस्कृत भाषा के विकास और छात्रों के मन से संस्कृत भाषा का भय समाप्त करने के लिए किया जा रहा है। जिसमें कक्षा पांच से स्नातकोत्तर एवं विद्यार्थी तीन सितम्बर को संस्कृत भाषा की परीक्षा देंगे। वस्तुनिष्ठ ऑनलाइन परीक्षा में प्रथम स्थान में ग्यारह हजार का पुरस्कार है। संस्कृत जनपद संयोजक पंकज ध्यानी ने कहा कि संस्कृत भारती एक सांस्कृतिक संस्था है जो संस्कृत को पुन: बोलचाल की भाषा बनाने में संलग्न है। चमु कृष्ण शास्त्री ने समस्त विश्व में संस्कृतभाषा को पुनर्जीवित करने के लिए इस संस्था कि स्थापना 1981 में की। संस्कृत भारत की अति प्राचीन भाषा है किन्तु दुर्भाग्य से आधुनिक काल में इसकी उपेक्षा की जा रही है। इस मौके पर संस्कृत भारती संस्था द्वारा सह संयोजक कुलदीप मैंदोला, आचार्य नीरज हिंदवान, आचार्य अरविंद, आशीष नैथानी, राकेश कण्डवाल, कमलेश, योगीराज, हिमांशु, विष्णु आदि मौजूद रहे।

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