उत्तराखंड

विद्वान एवं तपस्वी संत थे ब्रह्मलीन स्वामी धर्मानन्द सरस्वतीरू स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती

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हरिद्वार। परमार्थ आश्रम सप्त सरोवर हरिद्वार के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी धर्मानंद सरस्वती महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर परमार्थ आश्रम गंगा घाट पर पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज के तत्वाधान में गंगा आरती कर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्घालु भक्तों ने हिस्सा लिया। इस दौरान भजन संध्या का आयोजन भी किया गया। देर रात्रि तक श्रद्घालु धार्मिक भजनों पर झूमते रहे। श्रद्घालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर सभी को राष्ट्र उत्थान और मानव सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। संतों का जीवन परोपकार को समर्पित रहता है और उनके द्वारा प्रदान की गई शिक्षाएं अनंत काल तक समाज का मार्गदर्शन करती हैं। आज आवश्यकता है कि युवा पीढ़ी अपने भविष्य का निर्माण करते हुए धर्म और संस्ति के संरक्षण संवर्धन में अपना सहयोग प्रदान करें। सनातन धर्म अनादि काल से विश्व का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है। ब्रह्मलीन स्वामी धर्मानंद सरस्वती महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने भारत सहित संपूर्ण विश्व में धर्म एवं संस्ति का प्रचार प्रसार कर भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज सदैव नमन करता है। शिवडेल स्कूल के संस्थापक स्वामी शरद पुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी धर्मानंद सरस्वती महाराज हरिद्वार के इतिहास में एक विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे। जिन्होंने धर्म एवं संस्ति के साथ साथ सेवा और समर्पण का संदेश देकर समाज को उन्नति की ओर अग्रसर किया। उन्हीं के पद चिन्हों पर चलते हुए स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती उनके द्वारा प्रारंभ किए गए सेवा प्रकल्पओ को आगे बढ़ा रहे हैं। स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती के परम शिष्य स्वामी धर्मात्मानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप है। जो अपने गुरू के बताए मार्ग पर चलते हैं। उनका कल्याण निश्चित होता है। महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि एवं महंत देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन सभी के लिए प्रेरणादाई होता है और संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन स्वामी धर्मानंद सरस्वती महाराज त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। इस अवसर पर स्वामी हरिहरानन्द, स्वामी अभयानन्द, स्वामी अविनाश महाराज सहित बड़ी संख्या में श्रद्घालु भक्त उपस्थित रहे। आश्रम के प्रबंधक दिवाकर तिवारी व समाजसेवी अतुल मगन ने सभी संत महापुरूषों व अतिथीयों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।

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