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दिसंबर तक सभी वयस्कों को वैक्सीन देने का है बड़ा लक्ष्य: स्वास्थ्य मंत्री

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नई दिल्ली, एजेंसी। हर्षवर्धन का पत्ता कटा और गुजरात से आने वाले मनसुख मांडविया को स्वास्थ्य जैसा बड़ा मंत्रालय मिला तो चुनौती भी तीसरी लहर से पार पाने की है। सितंबर के बाद तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर इससे निपटने की तैयारी के लिए मंडाविया के पास समय कम होगा।
कोरोना की तीसरी लहर की चुनौती इसलिए बड़ी है क्योंकि उसके समय, संक्रामकता, व्यापकता और घातकता के बारे में किसी को कुछ नहीं पता है। इससे निपटने के लिए वैक्सीन ही एकमात्र हथियार के रूप में दिख रही है। सरकार ने दिसंबर तक सभी 94 करोड़ वयस्कों को वैक्सीन की दोनों डोज देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
तीसरी लहर में कोरोना से बच्चों के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है। उनके लिए अलग से लगभग 80 करोड़ डोज का प्रबंध करना होगा। वहीं वायरस में हो रहे म्यूटेशन के बाद वैक्सीन की कारगरता पर सवाल भी उठने लगे हैं। अधिकांश लोगों को वैक्सीन लगा चुके इजराइल में महामारी फिर फैल रही है। बच्चों के के लिए पूरे देश में बड़े पैमाने आधारभूत संरचना के साथ दवाओं का भी पर्याप्त प्रबंध करना होगा।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब पूरा देश रेमडेसिविर और एंफोटेरिसीन-बी जैसी दवाओं की कमी से जूझ रहा था, तो उनका उत्पादन बढ़ाकर आपूर्ति सुनिश्चित करने में मनसुख मांडविया ने अहम भूमिका निभाई थी। चंद हफ्तों में रेमडेसिविर का उत्पादन तीन गुना तक बढ़ाया गया। ब्लैक फंगस के मामले में भी एंफोटेरिसीन-बी के उत्पादन में भी यही स्थिति रही। संकट जब चरम पर था तब फार्मा विभाग में राज्य मंत्री के रूप में मंडाविया की सक्रियता और उनके प्रयासों को देखते हुए ही प्रधानमंत्री मोदी ने शायद उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी देने का फैसला किया। इसके अलावा जन औषधि केंद्रों के जरिये गरीबों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की पीएम की महत्वाकांक्षी योजना की सफलता के पीटे मंडाविया की अहम भूमिका बताई जाती है। चुनौतियों से तेजी के साथ निपटने की उनकी खासियत तीसरी लहर के दौरान काम आ सकती है।

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