उत्तराखंड

डेयरी व्यवसाय से मालामाल हो रहे पशुपालक

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रुद्रप्रयाग। जनपद में दुग्ध उत्पादन को लेकर पशुपालक काफी जागरूक हो गए हैं और लगातार दूध उत्पादन में इजाफा हो रहा है। डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग के चलते पारंपरिक किसानों ने तरक्की की है साथ ही पशुपालकों ने भी डेयरी के क्षेत्र में कामयाबी पाई है। जिला प्रशासन एवं दुग्ध विकास विभाग के सहयोग एवं मार्गदर्शन में जनपद के तीनों विकास खंडों में प्रतिवर्ष नए किसान दुग्ध विकास विभाग के जरिए दुधारू पशुओं की खरीद कर अपनी आजीविका में सुधार ला रहे हैं। नेशनल कोअपरेटिव डेवलपमेंट करपोरेशन (एनसीडीसी) योजना में डेयरी विकास विभाग किसानों को डेयरी व्यवसाय से जोड़ रहा है। विभाग की ओर से किसान-पशुपालकों को प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीक एवं उपकरणों की जानकारी दी जा रही है। वहीं दुधारू मवेशियों की खरीद के लिए आसानी सेाण उपलब्ध कराने के साथ ही पशुओं की खरीद में पूरी मदद भी की जा रही है। किसान वैज्ञानिक विधि से पशुओं की देखभाल करने लगे हैं। जबकि वर्तमान समय में जिले में विभिन्न महिला समूह एवं किसान मिलकर प्रतिदिन 15 हजार लीटर से ज्यादा दूध उत्पादन कर बेच रहे हैं। अगस्त्यमुनि ब्लक के हाट गांव के संदीप गोस्वामी बीते पांच सालों से दुग्ध व्यवसाय कर रहे हैं जो 200 लीटर दूध उत्पादन कर रहे हैं। संदीप के पास 14 मवेशी हैं। वह महीने में करीब 8500 लीटर दुग्ध उत्पादन कर तीन लाख रूपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं। उनके साथ 10 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
हाट गांव निवासी गीता देवी बेहद साधारण परिवार से हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति नाजुक थी ऐसे में उन्होंने परिवार के भरण पोषण के लिए दुग्ध व्यावसाय का रास्ता चुना। संदीप गोस्वामी ने भी उनकी मदद कर उन्हें दुग्ध विकास विभाग की योजनाओं की जानकारी दी और उन्हें व्यावसाय स्थापित करने में मदद की। गीता देवी के पास 7 मवेशी हैं एवं वो महीने में करीब 3500 लीटर दूध का उत्पादन कर बेच रही हैं। गीता ने बताया कि महीने में डेढ़ लाख से ज्यादा की कमाई कर रही है। पुनाड़ निवासी दुर्गा नौटियाल बीते कई सालों से दुग्ध उत्पादन का काम कर रहे हैं। वह प्रतिमाह 1500 लीटर दूध की बिक्री कर रहे हैं। पुनाड़ निवासी अजय कप्रवान लंबे समय तक बेरोजगारी से जूझते रहे। इसी बीच उन्हें दुग्ध विकास विभाग की एनसीडीसी योजना की जानकारी मिली और पांच मवेशी खरीद कर अपना व्यवसाय शुरू किया।
वर्तमान में उनके पास 8 गाय हैं जिनसे करीब 3500 लीटर दूध प्रतिमाह उत्पादन कर वो बेच रहे हैं एवं डेढ़ लाख से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं। अजय अपने अलावा छह और लोगों को रोजगार दे रहे हैं। मुख्यालय के नजदीकी गांव जयमंडी निवासी राकेश बिष्ट भी 1500 लीटर प्रतिमाह दूध की बिक्री कर रहे हैं। इधर, वरिष्ठ प्रबंधक दुग्ध विकास एसके शर्मा ने बताया कि नेशनल कोअपरेटिव डेवलपमेंट करपोरेशन (एनसीडीसी) योजना में डेयरी विकास विभाग किसान एवं पशुपालकों को मवेशी खरीदने एवं उनका व्यवसाय स्थापित करने में पूरी मदद कर रहा है। साथ ही समय समय पर प्रशिक्षण दे रहा है। जनपद में वर्तमान में 15 हजार लीटर दुग्ध उत्पादन प्रतिदिन हो रहा है जबकि करीब 10 हजार लीटर दूध बाहर से आ रहा है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि जनपद में दूध की और डिमांड है।

 

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