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चीन का बनाया एयरपोर्ट हिंदुस्तान के हवाले

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कोलंबो, नई दिल्ली, एजेंसी। श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह के पास स्थित अपने चीन निर्मित मटाला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का प्रबंधन एक भारतीय और एक रूसी कंपनी को 30 साल की लीज पर सौंपने का फैसला किया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मंत्रियों की कैबिनेट द्वारा नियुक्त वार्ता समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का प्रबंधन 30 वर्षो की अवधि के लिए भारत की मेसर्स शौर्य एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड और रूस की रिजेन प्रबंधन कंपनी अथवा इसकी संबद्ध कंपनी को सौंपने की अनुमति दे दी है।
यह हवाई अड्डा वर्ष 2013 में 20 करोड़ 90 लाख डॉलर की लागत से बनाया गया था और इसके लिए अधिकांश राशि चीन से ऋण के रूप में आए थे। बारह हजार वर्ग मीटर टर्मिनल भवन, 12 चेक-इन काउंटर, दो गेट और एक सबसे बड़े वाणिज्यिक जेटों को संभालने के लिए पर्याप्त लंबा रनवे और प्रति वर्ष दस लाख यात्रियों को संभालने की क्षमता होने के बावजूद शायद ही यहां कोई यात्री या यातायात आता है। यह हवाई अड्डा पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था और यह उनके गृह नगर में स्थित है।
श्रीलंका के मंत्रियों की कैबिनेट का निर्णय नौ जनवरी, 2023 को आयोजित एक कैबिनेट बैठक के बाद लिया गया, जिसके दौरान मटाला हवाई अड्डे की सुविधाओं का उपयोग करने के लिए इच्छुक पार्टियों से ‘रुचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित’(ईओआई) करने पर सहमति हुई थी।तदनुसार ईओआई को बुलाया गया था और पांच कंपनियों ने हवाई अड्डे के प्रबंधन के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किए थे। परियोजना को अंतिम मंजूरी मंत्रियों के मंत्रिमंडल द्वारा नियुक्त वार्ता समिति की सर्वसम्मत सहमति देने बाद दी गई है।दिसंबर 2017 में श्रीलंका ने कर्ज चुकाने में असमर्थ होने पर हंबनटोटा बंदरगाह चीन को सौंप दिया था। हंबनटोटा बंदरगाह चाइना मर्चेंट्स पोर्ट (सीएमपोर्ट) के नेतृत्व में एक संयुक्त उद्यम है, जिसके पास साइट को संचालित करने के लिए 99 साल का विवादास्पद पट्टा है।

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