चितई गोलज्यू मंदिर मामला मंदिर को ट्रस्ट बनाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई आज
नैनीताल । चितई गोलज्यू मंदिर से संबंधित पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद पूर्व के आदेश के अनुपालन में दिए गए समस्त प्रशासनिक निर्णयों को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। पुजारी परिवार ने कोर्ट के आदेश के अनुपालन में ऐतिहासिक दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं। गोलज्यू मंदिर को ट्रस्ट बनाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई आज होगी।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अधिवक्ता दीपक रूवाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि चितई गोलज्यू मंदिर को ट्रस्ट बनाया जाए। पूर्व में याचिका पर पारित आदेश के बाद डीएम अल्मोड़ा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई, जिसमें एसडीएम, तहसीलदार, जिला पर्यटन अधिकारी, कोषाधिकारी शामिल थे। इस समिति को लेकर मंदिर के पुजारी परिवार की संध्या पंत और हरिविनोद पंत ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
इसके बाद कोर्ट ने पुजारी परिवार को दस्तावेज कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे। पुजारी परिवार के अधिवक्ता की ओर से मंदिर से संबंधित राजस्व अभिलेख सहित अन्य दस्तावेज कोर्ट में दाखिल कर दिए गए है।
पर्यटन सचिव की ओर से ट्रस्ट बनाने, चार जुलाई को डीएम की ओर से ट्रस्ट गठित करने, पुजारी की नियुक्ति करने, मंदिर में दान पात्र लगाने से संबंधित पूर्व में जारी प्रशासनिक निर्णयों को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है।
हाईकोर्ट ने सितारगंज में स्वच्छ भारत अभियान में घपले पर मांगा जवाब
नैनीताल। हाईकोर्ट ने सितारगंज में सरकारी योजना स्वच्छ भारत अभियान और स्वजल परियोजना का दुरुपयोग करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से एक सप्ताह में शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमथ व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में सितारगंज निवासी निखिलेश की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
याचिका में कहा है सितारगंज के ग्राम अरविंद नगर में 2014 से 2019 में सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत टयलेट बनाने के लिए दी जाने वाली धनराशि सहित बोरिंग करने की स्वीति हुई थी परन्तु ग्राम प्रधान और बीडीओ ने लाखों रुपए का घोटाला किया है। इस योजना में गरीब परिवारों के लिए 371 टयलेट व अन्य सुविधाए स्वीत हुए थे लेकिन दोनों के मिलीभगत से यह कार्य पूर्ण नही किया गया और अपने स्तर से कार्य पूर्ण होने का सर्टिफिकेट दे दिया। जमीनी हकीकत यह है कि जितने भी कार्य किये गए ,वे पूर्ण नही थे । याचिकाकर्ता ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है।