चिट्ठी प्रकरण पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा बोले, ईमानदारी से पार्टी में बदलाव का सुझाव असहमति नहीं

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नई दिल्ली। कांग्रेस में नेतृत्व में बदलाव और आमूलचूल परिवर्तन के लिए चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल आनंद शर्मा ने ट्वीट के जरिए कहा कि भाजपा से भिड़ने के लिए भारत को एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है। ईमानदारी से पार्टी के नवीनीकरण के सुझाव असहमति नहीं हैं। काश, सभी साथियों ने इसे पढ़ा होता।
राज्यसभा सांसद विवेक तन्घ्खा के ट्वीट का जवाब देते हुए आनंद शर्मा ने लिखा कि पत्र हमारे दिलों में पार्टी के सर्वोत्तम हित के साथ लिखा गया था और उसमें देश में वर्तमान माहौल पर साझा चिंताओं को व्यक्त किया। ऐसे समय में जब संविधान के मूलभूत मूल्यों पर निरंतर हमला किया जा रहा है।
दरअसल, सोमवार का हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने आनंद शर्मा पर पत्र लिखने का आरोप लगाया और खेद व्यक्त किया कि गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता उस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में शामिल थे। सीडब्ल्यूसी की बैठक में इसका जवाब देते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि गांधी परिवार का हमसे ज्यादा लायल कौन हो सकता है। सारी जिंद्गी हमने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए काम किया है। लेकिन मुद्दे की बात पार्टी में न करें तो कहां करें।
जानकारी के मुताबिक, सोमवार को सीडब्ल्यूसी की यह बैठक करीब 2 हफ्ते पहले लिखी गई एक चिट्ठी की प्रतिक्रिया के तौर पर बुलाई गई थी। इस चिट्ठी में पार्टी के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पार्टी के संगठन के मसले पर चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में सशक्त केंद्रीय नेतृत्व के साथ पार्टी को चलाने की रणनीति में बदलाव पर जोर दिया गया था। इसमें कहा गया था कि नेतृत्व ऐसा हो जो सक्रिय हो और जमीन पर काम करता दिखे। इसे लेकर सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी ने इस्घ्तीफे की पेशकश की थी। उधर, राहुल गांधी ने बदलाव का पत्र लिखने वाले वरिष्ठ नेताओं पर भाजपा के साथ साठगांठ का ही आरोप लगाया था।
राहुल के आरोप से कई नेता हुए नाराज
प्रतिक्रिया में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने आरोप साबित होने पर इस्तीफे तक की पेशकश कर दी। विरोध स्वरूप कम से कम चार वरिष्ठ नेता कुछ देर के लिए वर्चुअल बैठक से लाग आउट भी कर गए। हालांकि बाद में लीपापोती हुई, राहुल ने हर किसी को फोन कर यह भी सफाई दी कि उनका आरोप उन लोगों के लिए था, जो कांग्रेस हितों की अनदेखी कर रहे हैं। वहीं सार्वजनिक रूप से कांग्रेस ने इस बात का खंडन किया कि राहुल ने ऐसी कोई बात की थी।
करीब छह घंटे तक चली सीडब्लूसी बैठक के अंत में सर्वसम्मत प्रस्ताव में सोनिया गांधी के इस्तीफे की पेशकश को खारिज कर दिया गया। वह फिघ्र से कांग्रेस की अंतरित अध्घ्यक्ष बनीं रहेंगी। संभवतरू जनवरी तक एआइसीसी की बैठक होगी और उसमें नए अध्यक्ष का चुनाव होगा।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के तत्काल बाद सोमवार रात को पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के घर में एक अहम बैठक की। इस बैठक में शशि थरूर, कपिल सिब्बल, मुकल वासनिक और मनीष तिवारी शामिल हुए। ये उन 23 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की वकालत की थी और जिसके चलते पार्टी में भूचाल खड़ा हो गया था। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में दिल्ली में मौजूद कुछ अन्य ऐसे नेता भी शामिल हुए जो पत्र लिखने वालों में शामिल हैं। इन नेताओं ने कार्यसमिति की बैठक में पारित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया।

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