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चुनौतियों के साथ विकास का सुअवसर बनी प्रवासियों की संख्या: त्रिभुवन

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अल्मोड़ा। कोरोना संक्रमणकाल में उत्तराखंड में बड़ी तादाद में प्रवासियों के अपने मूल गांवों में लौटने से चुनौतियों के साथ पलायन से कराह रहे पर्वतीय क्षेत्रों के लिए एक सुअवसर भी प्राप्त हुआ हैं। प्रवासियों की ये संख्या रा’य के लिए वरदान साबित हो सकती है। कार्यकुशलता के अनुरूप प्रवासियों का वर्गीकरण कर उनकी योग्यता के आधार पर मनरेगा आदि के जरिए ठोस कार्य योजना तैयार किए जाने से रा’य की आर्थिकी मजबूत हो सकती है। जैनोली के क्षेत्र पंचायत सदस्य त्रिभुवन फर्त्याल ने मुख्यमंत्री के सचिव व कुमाऊं मंडलायुक्त अरविंद ह्यांकी से मुलाकात कर उक्त बिंदुओं को उनके समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मनरेगा में दैनिक मजदूरी दर को 450 किया जाना नितांत जरूरी है। ताकि प्रवासी मनरेगा के माध्यम से पूरे मनोयोग व रूचि से कार्य कर सकें। प्रवासियों की उनकी कार्यकुशलता के अनुरूप वर्गीकृत कर कार्य योजना बनाने की भी बेहद जरूरत है। बीपीओ, कंप्यूटर आदि तकनीकी कार्य करने वाले प्रवासियों के लिए स्थानीय स्तर पर सीएससी स्थापना के नियमों में व्यवहारिक शिथिलीकरण तथा कंप्यूटर, तकनीकी से संबंधित इकाइयों को स्थापित करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन देना होगा। वहीं, मनरेगा के दायरे को विकासखंड, जिला, ग्राम पंचायत के कार्यालयों में रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। वन पंचायतों में युवा, महिला मंगल दलों, स्वयं सहायता समूह की देखरेख में वन संपदा के दोहन का पूर्ण अधिकार दिए जाने से रोजगार सृजन के साथ वनाग्नि की घटनाएं भी रुकेंगीं। कृषि कार्य को मनरेगा से जोड़कर फसलों का अनिवार्य बीमा व न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर विपणन के ढांचे को सुदृढ़ किया जाने की भी आवश्यकता है। पर्यटन आधारित सभी ऋणों की अदायगी के लिए एक साल की छूट देने के साथ स्थानीय स्तर पर स्थापित इकाइयों को आर्थिक राहत पैकेज के लाभ के दायरे में लाया जाना चाहिए। किसानों, बीपीएल व असंगठित क्षेत्र कर्मकारों के खातों में डीबीटी के माध्यम से प्रतिमाह एक हजार की राशि कारोना काल में प्रदान करने की भी मांग उठाई।

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