एपीएल को अन्न के अधिकार से वंचित करने की साजिश
नई टिहरी। अखिल भारतीय किसान सभा की जिला कौंसिल के सचिव भगवान सिंह राणा ने एपीएल कार्डधारकों के हो रहे दोयम दर्ज के व्यवहार को लेकर गहन नाराजगी जाहिर की। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि एपीएल कार्ड धारकों को सरकार उनके अनाज के अधिकार से वंचित करने का काम कर रही है। बताया कि एपीएल (पीला कार्ड) कार्ड धारक उपभोक्ताओं के लिए 15 किलो राशन देने का प्रावधान नीति में तय था। जिसमें 10 किलो गेहूं और 5 किलो चावल प्रति राशन कार्ड नियत था। वर्ष 2017 में इन कार्डधारकों को आधा राशन यानि 7़5 किलो के बदले 75 रुपये प्रतिमाह सब्सिडी देने का निर्णय केन्द्र सरकार ने लिया। लेकिन वह सब्सिडी का फैसला परवान नहीं चढ़ पाया। जबकि 7़5 किलो अनाज एपीएल परिवारों को पिछले पांच वर्षों से मिलना बंद हो गया है। कुछ कार्डधारकों को वर्ष 2019 के जनवरी के महीने में छह माह की सब्सिडी, 9 जनवरी को दो माह की, 11 जनवरी को दो माह की, 17 जनवरी को दो माह की और 1 फरवरी को एक माह की प्राप्त हुई है। इस प्रकार एपीएल कार्डधारकों को पहले उनके आधे अनाज के अधिकार से वंचित किया गया और फिर तथाकथित सब्सिडी देने के फरमान से। जिससे साफ है कि इन कार्डधारकों को अनाज के अधिकार से वंचित करने की यह नीतिगत साजिश है। मंहगाई के चलते एपीएल कार्डधारकों की जेब से गेहूं और चावल के लिए अतिरिक्त पैसा खर्च हो रहा है। अखिल भारतीय किसान सभा की टिहरी जिला कौंसिल मांग करती है कि केन्द्र और राज्य सरकार एपीएल कार्डधारकों को प्रतिमाह 15 किलो अनाज देना सुनिश्चित करे, ताकि एपीएल के लोगों को महंगाई से कुछ राहत मिलने के साथ ही इनके अन्न पाने के अधिकार की हिफाजत हो सके।