कोटद्वार-पौड़ी

कूड़ा निस्तारण के लिए ठोस रणनीति की आवश्यकता है: डीएम

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। विकास भवन सभागार पौड़ी में सोमवार को जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे की अध्यक्षता में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत जिला स्तरीय कूड़ा निगरानी/क्रियान्वयन समिति तथा जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक हुई। कूड़ा प्रबंधन एवं निस्तारण को मॉडल के रूप में विकसित करने को लेकर जिलाधिकारी ने जनप्रतिनिधियों से सुझाव भी लिए। उन्होंने ब्लॉक स्तर पर सभी कार्यों का उल्लेख करते डीपीआर बनाकर प्रस्तुत करने को कहा। जिलाधिकारी ने कहा कि कूड़े के निस्तारण के लिए एक ठोस रणनीति की आवश्यकता है। कूड़ा एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है, जोकि नगरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ रहा है। ठोस कूड़ा अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सबसे महत्वपूर्ण गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग एकत्रित करना है। इसके सही उपयोग से नगर पंचायत व ब्लॉक पंचायत अच्छा राजस्व अर्जित कर सकते हैं।
जिलाधिकारी डॉ. जोगदण्डे ने कहा कि कूड़ा निस्तारण के लिए कार्मिकों एवं उसमें लगने वाले वाहनो की खरीद आदि विभिन्न योजनाओं की डीपीआर तैयार करें। उन्होंने कहा कि नगर पंचायत (नगर निगम व नगर पालिका) व जिला पंचायतो ने अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत अपने स्तर से संसाधनों का उपयोग कर टैक्स एकत्रित किया है, किंतु ग्राम पंचायतें इस प्रकार का कोई लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें कूड़ा युक्त नगर से कूड़ा मुक्त नगर की ओर बढ़ना है। ब्लॉक पंचायत स्तर व जिला पंचायत स्तर पर कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था बनाने के लिए डीपीआर बनाई जाए। साथ ही उन क्षेत्रों में कितना कूड़ा निकलता है तथा उस कूडे़ को उठाने के बदले कितना राजस्व एकत्रित किया जा सकता है, यह सुनिश्चित कर लिया जाए। इसके साथ ही एकत्रित कूड़े के निस्तारण के लिए सैड के निर्माण की भी कार्ययोजना तैयार कर लें। जिलाधिकारी ने कहा कि हर ग्राम, पर्यटक स्थल, बाजारों व महत्वपूर्ण स्थलों जहां कूड़ा निकलता है, सप्ताह में एक दिन या हर दिन कार्मिक को रख कर कूड़ा एकत्रित किया जा सकता है। जिलाधिकारी ने सभी पंचायतों व अधिकारियों को समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश देते हुए कहा कि कूड़ा प्रबंधन के लिए ठोस नीति बनाए। ब्लॉक पंचायतें व ग्राम पंचायतें कार्ययोजना बनाते हुए अपने अधिकार क्षेत्रों में होर्डिंग लगाए व उन पर विज्ञापन के माध्यम से कर एकत्रित करें। उन्होंने कहा कि गीले कूडे़ से खाद बना के उसे बेचा जा सकता है, जबकि जो कूड़ा नष्ट नही हो सकता है, उसे बारीक कर सड़कों, गांव में सीसी मार्ग बनाने में या अन्य कहीं भरान में उपयोग में लाया जा सकता है। इस प्रकार के कार्यों के लिए राज्य सरकार के द्वारा हरिद्वार में प्लांट भी लगाया गया है, जिसका शुभारंभ शीघ्र ही किया जाना प्रस्तावित है। मुख्य विकास अधिकारी आशीष भटगाई ने कहा कि ठोस अपशिष्ट कूड़ा प्रबंधन की समस्या शहरों के साथ गांवों में भी बढ़ता जा रहा है। नगरों में कूड़ा एकत्रित करना आसान है, जबकि गांव में घर दूर-दूर होने के कारण कूड़ा एकत्रित करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि कूड़ा निस्तारण ग्राम पंचायत स्तर पर ही किया जाना आवश्यक है तथा इसके लिए डोर टू डोर जाकर कूड़ा एकत्र करना महत्वपूर्ण है। इसमें जैविक और अजैविक कूड़े को अलग-अलग करना तथा प्लास्टिक व अन्य अजैविक कूडे को कम लागत में शहरों तक नष्ट करने के लिए पहुंचाना एक महत्वपूर्ण विषय है, इसके लिए फंडिंग व संसाधन महत्वपूर्ण हो जाते हैं कि कैसे कूड़े को निस्तारण स्थल तक पहुंचाया जाए। बैठक में डीएफओ गढ़वाल मुकेश कुमार, ब्लाक प्रमुख दीपक खुगशाल, महेंद्र राणा, बीना राणा, पूर्णिमा नेगी, नीरज पांथरी, प्रीति देवी, एसडीएम कोटद्वार योगेश सिंह मेहरा, जिला विकास अधिकारी वेद प्रकाश, डीपीआरओ एमएम खान, पीएम स्वजल दीपक रावत, एसीएमओ एके तोमर, खंड विकास अधिकारी सत्यप्रकाश भारद्वाज, सुमन लता, प्रवीण भट्ट, ओमप्रकाश रावत, दिनेश प्रसाद बडोनी, जयेन्द्र भारद्वाज, एस.पी. थपलियाल सहित जनप्रतिनिधि एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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