शिव के भजनों पर झूमे श्रद्धालु
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : सुखरो देवी मंदिर में राज्य निर्माण आंदोलनकारी व समाज सेवी स्व. सुधा सती की स्मृति में शिवमहापुराण यज्ञ चौथे दिन भी जारी रहा। शिवमहापुराण कथा के मौके पर कीर्तन मंडलियों ने भगवान शंकर स्तुति का गुणगान कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। तत्पश्चात शिवमहापुराण कथा का वाचन करते हुए आचार्य राकेश चंद्र लखेड़ा ने भगवान शिव व सती की महिमा का गुणगान किया।
कहा कि वर्तमान में समाज में अंहकार सबसे बड़ा अभिशाप बनते जा रहा है। अंहकारी व्यक्ति न तो समाज के काम आता है और न ही वह देश का भला कर सकता है। उन्होंने कहा कि राजा दक्ष को भी अंहकार आ गया था। अपने अहंकार के कारण ही उन्होंने भगवान शंकर को यज्ञ में नहीं बुलाया। हरिद्वार के कनखल में जब राजा दक्ष यज्ञ कर रहे थे, तो उन्होंने अंहकार वश भगवान शिव को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। जबकि सभी देवी-देवदाताओं को यज्ञ में आने का न्यौता भेजा गया था। इस बात का पता जब माता सती को चला तो वह पति के आज्ञा का विरूद्ध अपने पिता के माध्यम से आयोजित यज्ञ में पहुंच गई। वह अपने पति के अपमान को सहन नहीं कर पाई। सती को इतना दु:ख हुआ कि उन्होंने अग्नि कुंड में जलकर अपने शरीर को ही भस्म कर डाला। इस अवसर पर विभिन्न कीर्तन मंडलियों ने भगवान शिव की स्तुतिकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। इस मौके पर जनार्दन प्रसाद ध्यानी, निर्मला नैथानी, शंकर दत्त गौड़, वीरेंद्र गुसांई, जयदवे खत्री, सरोज रावत, बीना दानी मौजूद रहे।