देवप्रयाग में दुर्लभ पांडुलिपियों का अध्ययन व शोध कार्य शुरू
नई टिहरी। पंतजलि योगपीठ हरिद्वार की ओर से देवप्रयाग स्थित सुप्रसिद्ध नक्षत्र वेधशाला में संग्रहित दुर्लभ पांडुलिपियों के अध्ययन व शोध कार्य की शुरुआत की गयी है। इसके तहत पंतजलि की पांच सदस्यों वाली टीम ने विभिन्न विषयों के प्राचीन ग्रंथों को सूचीबद्ध किया। तीर्थनगरी देवप्रयाग स्थित नक्षत्र वेधशाला में पतंजलि योगपीठ संचालक आचार्य बालकृष्ण के निर्देश पर आयुर्वेद, ज्योतिष, वास्तु, रसायन , संस्कृत साहित्य, व्याकरण आदि के दुर्लभ ग्रंथो का अवलोकन का टीम पतंजलि योगपीठ की टीम ने किया। आचार्य बालकृष्ण ने बीते वर्ष मार्च में नक्षत्र वेधशाला का भ्रमण किया था। 1946 में प्रसिद्ध विद्वान आचार्य चक्रधर जोशी की ओर से स्थापित इस शोध केंद्र में संग्रहित ग्रंथो को उन्होंने भारतीय संस्कृति व ज्ञान की धरोहर बताते इनका उपयोग लोक कल्याण हेतु किये जाने की बात कही थी। यहाँ संग्रहित दुर्लभ ग्रंथो की सुरक्षा के लिए आचार्य बालकृष्ण ने मुंबई से 12 अलमारियो का विशेष कोमपेक्टिर सेट भी वेधशाला में स्थापित करवा। उनके निर्देश पर पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज, आचार्य कुलम शिक्षण संस्थान, वैदिक कुलम् सस्था व पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क आदि से जुड़े लोगों की टीम देवप्रयाग पहुंची। डॉ राजेश मिश्रा व स्वामी अखिलेशानंद के अगुवाई मे टीम ने विभिन्न उपयोगी ग्रंथो को शोध व अध्ययन के लिए सूचीबद्ध किया। टीम की ओर से भविष्य मे इन ग्रंथों के माध्यम से पतंजलि में महत्वपूर्ण शोधो को अंजाम दिया जायेगा। डॉ राजेश मिश्रा ने कहा कि विगत समय की दुर्लभ धरोहर को नक्षत्र वेधशाला मे सहेज कर रखा जाना अत्यंत सराहनीय कार्य है, आने वाली पीढ़ियों के लिए यहां बहुत उपयोगी ज्ञान संग्रहित है। टीम सदस्य स्वामी अखिलेशानंद, शोधकार्य सहायक सविता, करुणा, स्वाति ने उपयोगी ग्रंथो को सूचीबद्ध किया। नक्षत्र वेधशाला संचालक आचार्य भास्कर जोशी ने शोध केंद्र मे सरक्षित ग्रंथो की जानकारी टीम को दी।