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धर्मराज भारती उर्फ मौनी बाबा बने निरंजनी अखाड़े के महंत

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हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी स्थित मनसा देवी मंदिर चरण पादुका में धर्मराज भारती उर्फ मौनी बाबा अब पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महंत बन गए हैं। रविवार को अखाड़े के मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी और सभी पंचों ने उनके त्याग और तपस्या को देखते हुए उन्हें महंत के पद पर सुशोभित किया है। धर्मराज भारती के महंत के पद पर आसीन होने के बाद अब वे महंत धर्मराज भारती के नाम से पुकारे जाएंगे। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी, अखाड़े के सचिव व मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी और समस्त पंच परमेश्वर की उपस्थिति में धर्मराज भारती के महंत पद की घोषणा की गई। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि त्याग और तपस्या से ही परमात्मा के दर्शन होते हैं। संत हमेशा त्याग और तपस्या कर भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं। श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि हमारे हजारों साधु तपस्या करते हैं। उत्तराखंड और हिमाचल सहित तमाम जगहों पर जंगलों व अलग-अलग स्थानों पर तपस्या कर रहे हैं। उन्हीं में से धर्मराज भारती हैं। धर्मराज भारती उर्फ मौनी बाबा ने 2010 तक 12 वर्ष तक मौन रखा। बर्फ की चादर ढके होने के बीच उन्होंने 12 सालों तक कड़ी तपस्या की। उनके त्याग और तपस्या को देखकर ही पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने उन्हें महंत पद पर सुशोभित करने का निर्णय लिया। अब उन्हें महंत धर्मराज भारती के नाम से ही पुकारा जाएगा। श्रीमहंत रामरतन गिरि ने कहा कि त्याग और तपस्या का फल एक दिन जरूर मिलता है। साधु-संतों का जीवन हमेशा त्याग और तपस्या के लिए ही रहता है। इस अवसर पर श्रीमहंत ओमकार गिरि, श्रीमहंत दिनेश गिरि, श्रीमहंत हरगोविंद पुरी, श्रीमहंत केशवपुरी, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत राधेगिरि, श्रीमहंत नरेश गिरि आदि मौजूद रहे।

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