धोखाधड़ी के आरोपित को नहीं मिली अग्रिम जमानत
नैनीताल। प्रभारी जिला जज एवं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार की कोर्ट ने जमीन के फर्जीवाड़े में आरोपित की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट के आदेश के बाद आरोपित की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया। अभियोजन के अनुसार 16 अक्टूबर को जानकी देवी पत्नी महेश चंद्र आगरी निवासी प्रथम तल, सी इंद्रपुरी नई दिल्ली द्वारा रामनगर कोतवाली में आरोपित चंद्र बल्लभ पुत्र भवानी राम निवासी डीडीए फ्लैट-नंबर 102, डीडीए फ्लैट सेक्टर 22 द्वारिका नई दिल्ली व पवन अग्रवाल के खिलाफ धारा 420, 427 व 406 के तहत रिपोर्ट लिखाई थी।
रिपोटकर्ता के अनुसार ने अपने रिश्तेदारों चंद्र बल्लभ टम्टा सहित हयात राम, दीपक कुमार, कुंदन लाल, ख्याली राम, प्रदीप कुमार के साथ मिलकर रामनगर बलबीर गार्डन में करीब 20 हेक्टेयर भूमि खरीदी थी। जिस पर षि व बागबानी की जा रही थी। रिश्तेदार आरोपित चंद्र बल्लभ ने सह अभियुक्त चंद्रशेखर पुत्र केशवराम निवासी लछमपुर नया आवाद बैलपोखरा को 2011 से वहां रखा था लेकिन कुछ समय बाद चंद्रशेखर की नीयत डोल गई तो उसने बदमाशों के साथ मिलकर रिपोटकर्ता के पति के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज कर दी। चन्द्रबल्लभ द्वारा रिपोर्टकर्ता की भूमि सहित 50 एकड़ भूमि के विक्रय का सौदा इकरारनामा के तहत अर्पण अग्रवाल पुत्र राजीव अग्रवाल निवासी मोहल्ला ज्वाला लाइन रामनगर से 22 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से बेच दिया। इकरारनामा के तहत चन्द्रबल्लभ द्वारा 75 लाख रुपये चेक के माध्यम से बयाना अर्पण अग्रवाल से प्राप्त कर लिया।
फर्जी इकरारनामा की सूचना मिलने पर जानकी द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई। डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने जमानत का विरोध करते हुए तर्क दिया कि बिना रिपोटकर्ता की जानकारी के अभियुक्त चन्द्रबल्लभ द्वारा प्रार्थिनी की भूमि के विक्रय का फर्जी इकरारनामा कर 75 लाख रुपये प्राप्त कर लिए। जबकि रिपोटकर्ता द्वारा कभी भी उक्त भूमि को बेचने का सौदा किसी से नहीं किया। अभियोजन के तर्कों के आधार पर कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
हाई कोर्ट ने चितई गोलज्यू मंदिर के प्रबंधन का मामला सघ्विघ्लि कोर्ट भेजा, छह माह में देना होगा फैसला
नैनीताल। हाईकोर्ट ने प्रसिद्घ चितई गोल्ज्यू मंदिर अल्मोड़ा के प्रबंधन को लेकर जनहित याचिका व पुनर्विचार याचिका को निस्तारित कर उपासना से संबंधित अधिकार साक्ष्य के आधार पर छह माह के भीतर निर्धारित करने के आदेश सिविल न्यायालय अल्मोड़ा को दिए हैं। कोर्ट ने साफ कहा है कि दीवानी अधिकारों के लिए साक्ष्य की जरूरत होती है और जनहित याचिका में सबूत नहीं देखे जा सकते। सिविल कोर्ट को छह माह के भीतर हाईकोर्ट के मंदिर से संबंधित आदेशों से प्रभावित हुए बिना मामला निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। पक्षकारों से अपने दावे से संबंधित अर्जी सिविल कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं। इसके साथ ही छह माह तक मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए अस्थायी कमेटी बनाने के निर्देश जिलाधिकारी अल्मोड़ा को दिए हैं। कमेटी में जिलाधिकारी के साथ ही पुजारियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
नैनीताल निवासी अधिवक्ता दीपक रूवाली ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि चितई गोल्ज्यू मन्दिर में हर साल लाखों का चढ़ावा आता है मगर मंदिर के पुजारी परिवार इस पैसे पर अपना अधिकार समझते हैं। याचिका में चितई गोल्ज्यू के मन्दिर का ट्रस्ट बनाने की मांग कोर्ट से की गई है। इधर अल्मोड़ा की संध्या पंत ने पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा था उनके पूर्वजों द्वारा मंदिर बनाया गया था। उन्होंने याचिका के साथ पुराने दस्तावेज भी दाखिल किए थे। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए पर्यटन सचिव की ओर से बनाई गई मंदिर प्रबंधन कमेटी से संबंधित आदेश को रिकल कर दिया। साथ ही जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा लिए गए प्रशासनिक आदेशों को निरस्त कर दिया था।