कोटद्वार-पौड़ी

बेहत खेती के साथ पर्यावरण संरक्षण पर हुई चर्चा

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : जिलाधिकारी डॉ0 आशीष चौहान की अध्यक्षता में ग्रीन एग्रीकल्चर परियोजना के छठे चरण की तकनीकि मार्गदशक समिति की अर्धवार्षिक बैठक आयोजित की गयी। इस दौरान पहाड़ों में बेहतर खेती, पर्यावरण संरक्षण के साथ ही कई मुद्दों पर चर्चा की गई।
बैठक में उप परियोजना निदेशक जलागम डॉ0 सिद्वार्थ शंकर श्रीवास्तव और संबंधित विभागीय अधिकारियों और एजेंसियों द्वारा ग्राम पंचायतों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, वन कृषि, जल-भूमि संरक्षण, कृषि व नॉन कृषि आधारित गतिविधियों, पशुपालन इत्यादि को बढावा देने तथा मानव-वन्य जीव सघर्ष रोकथाम व जलवायु परिवर्तन के आजीविका व कृषि पर पडने वाले दुष्प्रभावों की रोकथाम के संबंध में तैयार की गयी कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण दिया गया। जिलाधिकारी ने प्रस्तुतीकरण का अवलोकन के दौरान मुख्य विकास अधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी गढ़वाल, मुख्य कृषि अधिकारी, उप परियोजना प्रबंधक जलागम तथा संबंधित विशेषज्ञों को कार्ययोजना में आंशिक बदलाव करने के लिए मार्केट सर्वे तथा मांग व आपूर्ति की प्रक्रियाओं, व्यावहारिक व स्थानीय संसाधन सक्षमता को ध्यान में रखते हुए बड़े स्तर पर सार्वजनिक लाभ तथा पर्यावरण और आजीविका के संतुलित कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने निर्देशित किया कि अभिसरण (कन्वर्जेस) के माध्यम से ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा दे जिससे इकोलॉजी और लोगों की इकॉनमी दोनो का संतुलन बना रहे तथा कार्ययोजना को दूरगामी और कम प्रक्रिया से बेहतर आउटकम आधारित नजरिये से बनायें। इस दौरान जिलाधिकारी ने उपस्थित ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों तथा ग्रीन एग्रीकल्चर क्षेत्र में कार्य करने वाले अनुभवी लोगों से फीडबैक भी प्राप्त किया तथा बेहतर फीडबैक को कार्ययोजना में शामिल करने के संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिये। ग्रीन एग्रीकल्चर परियोजना (जैफ) वर्ष 2019-20 से चल रही है तथा 2025-26 तक चलेगी। यह परियोजना 05 राज्यों उत्तराखण्ड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिसा व मिजोरम में चलायी जा रही है। उत्तराण्ड में यह जनपद पौड़ी के तीन विकासखण्डों यमकेश्वर, जयहरीखाल व दुगड्डा की 36 ग्राम पंचायतों में संचालित हो रही है। जिसमें कुल 16137 जनसंख्या आच्छादित है। परियोजना के अंतर्गत भारत में कृषि क्षेत्र में जैव विविधता, मृदा एवं भूमि प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन प्रभाव को कम करने एवं सतत् वन प्रबंधन, प्राथमिकताओं व पद्धतियों को समोकित करते हुए संस्थागत व ढ़ाचा संरचनाओं को मजबूत करना शामिल है। साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष को न्यूनतम करना भी शामिल है। इस दौरान बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अपूर्वा पांडे, डीएफओ गढ़वाल स्वप्निल अनिरूद्ध, उप परियोजना निदेशक जलागम डॉ0 सिद्धार्थ शंकर श्रीवास्तव, मुख्य कृषि अधिकारी अमरेंद्र चौधरी, ग्राम प्रधान धारकोट प्रहलाद सिंह, मल्ला बनास बच्चन सिंह बिष्ट, रामजीवाला अंजू देवी, सामाजिक विशेषज्ञ गीता रावत, जैफ यूनिट अधिकारी सोहनलाल सहित संबंधित अधिकारी व कार्मिक उपस्थित थे।

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