उत्तराखंड

जोशीमठ में विस्थापन प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी

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चमोली। जोशीमठ पहुंचे आपदा प्रबंधन सचिव ड़ रंजीत सिन्हा और गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने सुनील, मनोहरबाग, सिंहधार, मारवाड़ी, रविग्राम, गांधीनगर समेत सभी क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर बारिकी से जायजा लिया। उन्होंने प्रभावित लोगों से बातचीत की। डा़ सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ के ट्रीटमेंट के लिए बजट को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों के विस्थापन की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। आपदा प्रबंधन सचिव और गढ़वाल आयुक्त ने सबसे पहले जोशीमठ के सुनील वार्ड में जाकर क्षतिग्रस्त भवनों का निरीक्षण किया, जिसके बाद वे मनोहर बाग पहुंचे। सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ में भारी भू-धंसाव और भूमि कटाव हो रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है इसका विस्तार से सर्वे किया जायेगा, लेकिन उससे पहले प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं तैयार की जा रही हैं ताकि लोग इस ठंड के मौसम में सुरक्षित रह सकें। जेपी में निकल रहे मटमैले पानी पर चिन्ता जताते हुए आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि इस मटमैले पानी को रोका जाना संभव नहीं लग रहा है, लेकिन यदि यह पानी जमीन के अंदर वैक्यूम बनाता है तो भू-धंसाव की स्थिति और बढ़ सकती है। इस लिए इस संबन्ध में वाडिया, जीएसआई, आईआईटी रुड़की से जल्द विचार कर आगे का रास्ता निकाला जाएगा।
उन्होंने कहा कि जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के लिए देखने पर अभी कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। ड्रैनेज की समस्या, ढालदार भूमि, अत्यधिक निर्माण समेत कई कारण यहां हो रहे भू-धंसाव के जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन यह सब स्टडी के बाद ही पता चल पायेगा। उन्होंने कहा कि जितने भी क्षेत्र में उन्होंने गढ़वाल कमिश्नर और उनके साथ हाई टेक्निकल टीम के साथ निरीक्षण किया है वहां स्थिति गंभीर है। क्षेत्र भारी भू-धंसाव से प्रभावित हुआ है। इसका तुरंत ट्रीटमेंट किया जाना आवश्यक है। यहां घरों समेत बडेघ् होटलों में भी दरारें आ रही हैं, जिस कारण लोग डरे हुए हैं। आपदा सचिव ने बताया कि अभी तक जोशीमठ के 50 लोगों को शिफ्ट किया जा चुका है। प्रशासन द्वारा 561 दरके भवनों की सूची तैयार हुई है। यह संख्या बढ़ रही है।

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