कोरोनाकाल में दून अस्पताल के मेडिकल स्टाफ के वेतन बिलों में मिली गड़बड़ी
देहरादून। दून मेडिकल कलेज अस्पताल में कोरोनाकाल में लगे मेडिकल स्टाफ के वेतन के बिलों में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। प्रशासनिक अनुभाग द्वारा यह मामला पकड़ में आने पर निजी एजेंसी को करीब 43 लाख रुपये के बिल लौटा दिए गए और नोटिस जारी कर इनमें संशोधन कर भेजने को कहा। वहीं, करीब 250 कर्मचारियों का दिसंबर का वेतन अटकने से उन पर आर्थिक संकट बना है। दून अस्पताल में कोरोनाकाल में रखे गए करीब 250 कर्मचारियों को छह माह का विस्तार दिया गया है। इन्हें एक आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से रखा गया है। एजेंसी की ओर से जब दिसंबर माह के वेतन के बिल भेजे गए तो इनमें आठ कर्मचारियों के वेतन के बिलों में गड़बड़ी मिली। अकुशल कर्मचारी का अर्द्धकुशल और अर्द्धकुशल का कुशल की श्रेणी में वेतन का बिल बनाकर भेजा गया था। दो माह के बिलों में इस तरह की गड़बड़ी मिली है। स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष संजय कोरंगा, महासचिव अभिषेक र्केतुरा का कहना है कि कर्मचारियों के वेतन को हर माह अफसरों, बाबुओं, एजेंसी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए। अकुशल को 9500, अर्द्धकुशल को 10800, कुशल को 12006, उच्चकुशल को 13300 रुपये मिलते हैं। प्राचार्य दून मेडिकल कलेज डा़ आशुतोष सयाना का कहना है कि दो माह के बिलों में त्रुटियां मिलने पर एजेंसी को नोटिस जारी किया गया। ऐसी त्रुटि आईंदा होने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। एजेंसी ने सफ्टवेयर की दिक्कत बताकर बिलों में संशोधन किया है। बिल ट्रेजरी भेजे जा रहे हैं, एक दो दिन में वेतन कर्मचारियों को मिल जाएगा।
प्राचार्य की ओर से एजेंसी को भेजे नोटिस में सख्त हिदायतें दी गई हैं। एजेंसी को कर्मचारियों को आईकार्ड जारी करने, सौ फीसदी कर्मचारियों का बयोमेट्रिक मशीन में पंजीकरण कराने, ई-उपस्थिति हर माह की दो तारीख तक उपलब्ध कराने, 10 तारीख तक मासिक वेतन देने को कहा है।
दून अस्पताल में भी कर्मचारियों के वेतन को लेकर सिस्टम लचर है। वार्डों, विभागों से 10 तारीख तक भी उपस्थिति की डिटेल नहीं आती। कई दिनों तक प्रशासनिक अनुभाग के कर्मचारी फाइल दबाकर बैठे रहते हैं। जिससे वेतन में हर माह देरी होती है। प्राचार्य डा़ सयाना के मुताबिक अब एक सेल बना दी गई है। जिससे दिक्कत नहीं आएगी।