उत्तराखंड

बुद्घ पूर्णिमा पर यमुना में लगाई डुबकी, शिलालेख की परिक्रमा की

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विकासनगर। कालसी स्थित सम्राट अशोक की शिलालेख पर शुक्रवार को बुद्घं शरणम् गच्छामि, संघं शरणम् गच्छामि़.़क की मधुर ध्वनि गूंजती रही। मौका था बुद्घ पूर्णिमा के अवसर पर बौद्घ उत्सव मेला समिति कालसी की ओर से आयोजित समारोह का। जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य कई प्रदेशों के लोगों ने भाग लिया। मेला समिति के सदस्यों ने यमुना में स्नान करने के बाद शिलालेख की परिक्रमा की। मेला समिति के महासचिव यशपाल सैनी ने कहा कि सम्राट अशोक का नाम इतिहास में युग प्रवर्तक और शांति दूत के रूप में लिया जाता है। कहा कि युद्घ की विभीषिका से दुखी होकर बौद्घ धर्म अपनाने वाले सम्राट अशोक से वर्तमान विश्व को सीख लेनी चाहिए। जिससे विश्व बंधुत्व की धारणा मूर्त रूप ले सके और विश्व में शांति स्थापित हो। अध्यक्ष जगदीश कुशवाहा ने कहा कि कलिंग युद्घ की विभीषिका के बाद सम्राट अशोक ने जीवन में युद्घ नहीं करने की शपथ लेकर शांति स्थापना के लिए अन्य देशों में भी अभियान चलाया। लेकिन, वर्तमान में दो विश्व युद्घों के साथ ही राष्ट्रों के अन्य कई आपसी युद्घों की विभीषिका देखने के बाद भी वैश्विक राजनेता अपनी मत्वाकांक्षाओं के लिए निर्दोष जनता को युद्घ की त्रासदी में झोंक देते हैं। जिन्हें सम्राट अशोक के आदर्शों से सीख लेने की जरूरत है। मेला समिति के सदस्यों ने छात्र-छात्राओं को सम्राट अशोक के कार्यों से परिचित कराते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने की सलाह दी। मौजूद सभी लोगों ने शिलालेख की परिक्रमा व भगवान बुद्घ की प्रार्थना कर विश्व में शांति स्थापित करने का संकल्प लिया। इस दौरान राज्य सभा सांसद कल्पना सैनी, महापौर सुनील उनियाल ‘गामा, रविंद्र सैनी, संजय सैनी, राम सिंह सैनी, विरेंद्र सिंह सैनी, श्यामवीर सैनी आदि मौजूद रहे।

 

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