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चुनावी रणनीति: 125 सीटों पर मोदी को रोकने का प्लान तैयार, फरर की स्टाइल में काम करेंगे ये कार्यकर्ता

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नई दिल्ली, एजेंसी । राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 1.0 बहुत सफल रही थी। कहा जाता है कि कर्नाटक में कांग्रेस को मिली शानदार जीत के पीछे इस राज्य के नेताओं की कठिन मेहनत के साथ-साथ इस यात्रा ने भी अहम भूमिका निभाई थी। अब उस यात्रा से निकले सकारात्मक परिणामों के सहारे लोकसभा की 125 सीटों पर भाजपा को रोकने का प्लान तैयार किया गया है। विपक्ष को उम्मीद है कि यदि वह भाजपा को उसकी वर्तमान सीट क्षमता में 100 सीटों की कमी कर सके, तो केंद्र में सरकार बनाने की संभावनाएं बन सकती हैं।
दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा 1.0 को पूरी तरह गैर राजनीतिक रखा गया था। कांग्रेस ने इस यात्रा का नेतृत्व अवश्य किया था, लेकिन इसे किसी दल विशेष की यात्रा के तौर पर प्रचारित नहीं किया गया था। इसी का परिणाम हुआ कि इस यात्रा को डीएमके और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) जैसे दलों का साथ मिला।
लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस यात्रा की सफलता में सबसे बड़ा हाथ उन लोगों का था, जो किसी दल विशेष से नहीं जुड़े थे। विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े ये लोग अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावी हैं और लोगों के बीच बेहतर पकड़ रखते हैं।
एक अर्थ में लोग उनकी बातों को राजनेताओं से ज्यादा भरोसे के साथ सुनते और मानते हैं। अब इन्हीं लोगों को साथ लेकर देश की 125 अलग-अलग लोकसभाओं में लोगों को केंद्र सरकार की ‘कार्यशैली’ से अवगत कराकर उन्हें विपक्षी दलों के साझा उम्मीदवार को वोट देने के लिए कहा जाएगा।
योजना से जुड़े एक कार्यकर्ता ने अमर उजाला को बताया कि इन 125 सीटों की पहचान उत्तर से लेकर दक्षिण तक देश के विभिन्न राज्यों से की गई है। जिन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों ने विपक्षी दलों से बहुत कम मार्जिन से जीत हासिल की है, उन पर लोगों को मोबिलाइज किया जाएगा। इन राज्यों में दक्षिण की कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम के गोवा, गुजरात और महाराष्ट्र और उत्तर भारत के यूपी-बिहार और पश्चिम बंगाल तक की सीटें शामिल हैं।
125 सीटों के चयन में लोकसभा सीटों की आबादी की विवेचना को सबसे ज्यादा प्रमुख आधार बनाया गया है। टीम के कोर सदस्यों का मानना है कि जिन लोकसभा सीटों पर आदिवासी समुदाय, दलितों और पिछड़ों की आबादी सबसे ज्यादा है,
वहां पर लोगों को सरकार के उन कार्यों के बारे में जानकारी दी जाएगी और उन्हें बताया जाएगा कि किस तरह सरकार के कार्यों के कारण उनके अधिकारों में कटौती हो रही है। इस तरह लोगों को अपने साथ जोड़कर सरकार की राह में मुश्किल खड़ी की जाएगी।
इस पूरी योजना को अमल में लाने में सबसे बड़ा रोल सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव निभा रहे हैं। वे भारत जोड़ो यात्रा 1.0 के सूत्रधारों में गिने जाते हैं। इस बार इन 125 सीटों पर भाजपा को हराने की रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर डाली गई है। दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में हुई एक बैठक के बाद योगेंद्र यादव ने बताया था कि इन 125 लोकसभा सीटों में हर एक सीट पर एक हजार विशेष कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की जाएगी, जो अगले छह महीने अपनी-अपनी लोकसभाओं में रहकर प्रचार-प्रसार करने का काम करेंगे।
वे लोगों को जागरूक कर भाजपा के विरुद्ध वोट करने के लिए प्रेरित करेंगे।
इन सभी कार्यकर्ताओं को अपना कार्य शुरू करने के पहले विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें उन्हें आदिवासी और दलित समुदाय के लोगों के बीच रहकर उनसे मिलजुलकर अपनी बात रखने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह कार्य ठीक उसी प्रकार का होगा जिस प्रकार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने स्वयं सेवकों को तैयार कर विभिन्न क्षेत्रों में भेजकर सेवा कार्य करवाता है। अब इन कार्यकर्ताओं के सहारे भाजपा को रोक पाने की रणनीति कितनी सफल होती है, यह देखने वाली बात होगी।
लोकसभा चुनावों के स्तर पर यह प्रयोग पहली बार किया जाएगा। लेकिन उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है। किसान आंदोलन पर सरकार की प्रतिक्रिया से नाराज किसानों ने चुनावी राज्यों में जगह-जगह पहुंचकर लोगों को सरकार के विरुद्ध जागरूक करने का काम किया था। किसान नेता राकेश टिकैत ने स्वयं पश्चिम बंगाल में मोर्चा संभाला था और जगह-जगह घूमकर उन्होंने लोगों को भाजपा के विरोध में वोट डालने के लिए प्रेरित किया था। किसान नेताओं का दावा है कि ममता बनर्जी की शानदार सफलता में उनके इस प्रयास की भी बड़ी भूमिका थी। अब उसी प्रयोग को एक नए स्वरूप में लोकसभा चुनावों में अपनाने का काम किया जाएगा।

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