उत्तराखंड

लिंगानुपात संतुलन के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में मनाया गया राष्ट्रीय बालिका दिवस
जयन्त प्रतिनिधि।
रूद्रप्रयाग : ’राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के अवसर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में जनपद में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, विद्यालयों सहित विभिन्न स्थानों पर आयोजित गोष्ठियों में लिंगानुपात संतुलन की दिशा में किए जा रहे सरकारी प्रयासों को सफल बनाने के लिए सामाजिक स्तर पर जागरूकता बढाने के लिए सामूहिक पहल पर जोर दिया गया। इस अवसर पर लिंगानुपात जागरूकता विषय पर आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता के जूनियर वर्ग में वर्षा व सीनियर वर्ग में नितिशा अव्वल रही।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विमल सिंह गुसाईं ने बताया कि ’बालिका दिवस’ के आयोजन का मुख्य लक्ष्य लैंगिक असमानताओं को खत्म कर लिंग आधारित चुनौतियों के खात्में के लिए जागरूकता फैलाना, बालिका सशक्तिकरण व बालिकाओं को उनके अधिकार प्रदान करने में सहयोग प्रदान करना है। इसी कड़ी में ’राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन’ के तहत पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम के अंतर्गत लिंगानुपात संतुलन, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत लैंगिग भेदभाव रोकथाम एवं बालिका स्वास्थ्य तथा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों के अंतर्गत बाल स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता हेतु 42 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तथा आरबीएसके की टीमों द्वारा प्रावि डुंगर, कोदिमा, जीआईसी स्वीली सेम व आंगनबाड़ी केंद्र बणसू में जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। वहीं, राउप्रावि खड़पतिया में ’बालिका दिवस’ के मौके पर हेल्थ डे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर काउंसलर आरकेएसके विपिन सेमवाल ने लिंगानुपात संतुलन के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक कारकों के प्रति जनमानस को जागरूक करने, स्वस्थ्य समाज के लिए लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए सामाजिक जागरूकता की वकालत की। प्रधानाध्यापक विक्रम सिंह चैहान ने लिंगानुपात के घटने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्थिति को भयावह होने से रोकने के लिए समय रहते लिंगानुपात संतुलन के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। जिला समन्वयक पीसीपीएनडीटी डॉ. मनवर सिंह रावत ने कहा कि घटते लिंगानुपात को कम करने उद्देश्य से गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत प्रसव पूर्व एवं गर्भस्थ शिशु के लिंग चयन प्रक्रिया को निषेध कर दिया गया है, भू्रण के लिंग परीक्षण के लिए गर्भवती महिला को प्रेरित करना व दबाव डालना, लिंग जांच में सहयोगी बनना, लिंग जांच करना या करवाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर पांच वर्ष की सजा अथवा एक लाख का जुर्माना या दोनों वहीं चिकित्सक के लिए 5 वर्ष की कैद, अर्थदंड व पंजीकरण रद्द करने का प्रावधान है। इस अवसर पर 90 बच्चों की बीएमआई, एनिमिया जांच की गई। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में गिरता लिंगानुपात व उसका प्रभाव विषय पर आयोजित पेंटिग प्रतियोगिता के जूनियर वर्ग में वर्षा, आरूषी, महक व सीनियर वर्ग में नितिशा, नीतू व भूमिका ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेता प्रतिभागियों को प्रोत्साहन स्वरूप ’राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन’ के सौजन्य से पुरस्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर शिक्षक चंडी प्रसाद दरमोड़ा, उमेश रावत, शकुंतला नेगी, सरला नेगी, गोपाल फरस्वाण, दीपक कठैत व शोसल वर्कर एनटीसीपी दिगपाल कंडारी मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!