पर्यावरण दिवस : प्रकृति से छेड़छाड़ पड़ रही भारी, पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : पर्यावरण में हो रहे बदलाव व मानव के प्रकृति से छेड़छाड़ के चलते पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई हैं। यदि अभी भी इस ओर गंभीरता से विचार न किया गया तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
ग्राम नंदपुर कोटद्वार निवासी शिक्षक दिनेश चुंद्र कुकरेती पिदले दस सालों से पक्षियों के 1500 से अधिक घोसलों का अध्ययन कर रहे हैं। उनके अनुसार पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी हैं। लाल पंखों वाली घुघूती अब बहुत कम देखने को मिलती है। इसके अलावा सफेद गिद्ध, क्रिस्टेड हाक ईगल आदि अब कहीं आसानी से नहीं दिखते हैं। उनके अनुसार पक्षियों की स्थिति का पता लगाने के लिए बहुत सालों की मेहनत लगती है, जबकि विभागीय अधिकारी कुछ दिनों के अध्ययन से ही अपनी रिपोर्ट तैयार कर देते हैं। ऐसे में वह रिपोर्ट कितनी सही है, इसका आकलन कौन करेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। शिक्षक कुकरेती का कहना है कि पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव पक्षियों पर ही पड़ रहा है। ऐसे में इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

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