उत्तराखंड

बेहतर पर्यावरण संरक्षण हेतु पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा और इसीमोड काठमांडू को साझा कार्य की आवश्यकतारू ड़ पेमा ग्याम्त्शो

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अल्मोड़ा। गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी-कटारमल अल्मोड़ा में पर्यावरण संस्थान तथा इसीमोड के बीच हिमालयी क्षेत्रों में शोध एवं विकास कार्यों में परस्पर साझेदारी की संभावानाओं हेतु एक दिवसीय पारस्परिक विचार-विमर्श कार्यक्रम का आयोजन हाइब्रिड माध्यम द्वारा किया गया जिसमें इसीमोड काठमांडू के महानिदेशक ड पेमा ग्याम्त्शो तथा संस्थान के शासी निकाय के माननीय सदस्य बी एम एस राठौड़ मौजूद रहे। स्वागत संबोधन में प्रो नौटियाल ने संस्थान तथा इसकी क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर किये जा रहे शोध व विकासात्मक कार्यों और हितधारकों द्वारा इनसे लिए जा रहे लाभों से अवगत कराया। इसीमोड काठमांडू के पूर्व महानिदेशक पद्मश्री ड एकलब्य शर्मा ने कहा कि भारतीय हिमालय क्षेत्र आबादी वाला क्षेत्र है जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हमें कार्बन उत्सर्जन और जलवायु उत्सर्जन, उच्च ऊंचाई वाले ग्लेशियर, पीटलैंड, पर्माफ्रस्ट पर परस्पर मिल कर इसके संरक्षण हेतु प्रातिक तालमेल बनाने की अति आवश्यकता है। संस्थान इसीमोड काठमांडू के साथ वर्ष 1992 से मिलकर शोध और विकास कार्य कर रहा है और निकट भविष्य में भी इसे सहयोग मिलता रहेगा। इसीमोड काठमांडू के महानिदेशक ड पेमा ग्याम्त्शो ने कहा कि इसीमोड 08 सदस्य देशों के साथ विभिन्न हिमालयी क्षेत्रों में मिलकर कार्य कर रहा है जिसका नेटवर्क दुनिया भर में फैला हुआ है। उन्होंने संस्थान द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से हिमालयी क्षेत्रों में किये जा रहे विकासात्मक कार्यों की भूरि- भूरि प्रशंसा की। उन्होंने फसल अवशेष आधारित उत्पाद जैसे चीड़ की पत्तियों से विभिन्न सामग्रियों का निर्माण, ग्रामीण तकनीकी परिसरों के मध्य आपसी समन्वय तथा कर्मचारियों के आदान-प्रदान जैसे मुद्दों के माध्यम से परस्पर सहयोग की बात कही। कार्यक्रम में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ड आई डी भट्ट, ई आर के सिंह, ड राजेश जोशी, ड के चन्द्रशेखर, ड संदीपन मुखर्जी, ई देवेन्द्र सिंह, ड ए के साहनी, ड सतीश आर्य, ड के एस कनवाल, ई आशुतोष तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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