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पाकिस्तान अवाम के लिए भी सेना ‘सब कुछ’, फिर क्यों फूंक दिए सैन्य अफसरों के घर

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पाकिस्तान, एजेंसी। इमरान खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं, जिनकी गिरफ्तारी हुई है। इमरान खान से पहले और भी कई प्रधानमंत्रियों को पाकिस्तान में इसी तरह का अंजाम भुगतना पड़ा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद ही पाकिस्तान में ऐसा क्या हुआ की सेना को अपना सरकार से भी बड़ा हितैषी मानने वाली पाकिस्तानी आवाम ने उनके ही घरों को आग लगा दी। यह पहली बार हुआ है कि किसी प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी के बाद जनता ने शहर के शहर और सेना के मुख्यालय से लेकर बड़े-बड़े सेना के अधिकारियों के घरों समेत सरकारी और प्राइवेट बिल्डिंग्स को फूंक दिया और तोड़फोड़ की। पाकिस्तान के सियासी मामलों के जानकारों का कहना है कि दरअसल इस बार जिस तरीके से पाकिस्तान के रेंजर्स ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को कॉलर पकड़कर वैन में घसीटा, यह बात पाकिस्तान की जनता को नागवार गुजरी और फिर इमरान खान की पार्टी के नेताओं ने इमरान खान के साथ हुई मारपीट का भी जिक्र करके माहौल को हवा दे दी।
24 घंटे बीत चुके हैं और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में लगातार माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। आगजनी, बवाल, गोलीबारी और सड़कों पर सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के दौरान लगातार माहौल बिगड़ता जा रहा है। भारतीय विदेश सेवा के रिटायर्ड अधिकारी और वरिष्ठ राजनयिक अमरेंद्र कठुआ कहते हैं, पाकिस्तान में सेना हमेशा सरकार से ऊपर रही है। यही वजह है कि दिखावे के लोकतंत्र के बावजूद भी पाकिस्तान की आवाम भी सेना को ही अपना सबसे बड़ा हितैषी मानती आई है। वह कहते हैं कि पाकिस्तान के पुराने दौर में हुए प्रधानमंत्रियों की गिरफ्तारी और उनको दी जाने वाली सजा के बाद जनता के विरोध का पैमाना अगर इमरान खान से नापा जाएगा तो इमरान की गिरफ्तारी के बाद तो पाकिस्तान में विद्रोह शुरू हो गया है। उनका कहना है कि इस विद्रोह के बाद ही पाकिस्तान में इस तरह की स्थिति बनी कि वह एक तरह से खुद के खात्मे की ओर चल पड़ी है। पाकिस्तान में इमरान के समर्थकों में नाराजगी इस तरह हुई कि रावलपिंडी में सेना मुख्यालय हो या आईएसएस से जुड़े हुए बड़े सैन्य अधिकारियों के बंगले, एक-एक करके सब को आग के हवाले कर दिया गया और जमकर तोड़फोड़ हुई।
पाकिस्तान में हुई हिंसा को लेकर पाकिस्तान के ही एक रिटायर्ड अधिकारी ने अमर उजाला डॉट कॉम को बताया इमरान खान को कॉलर पकड़कर घसीटते हुए जिस तरह से बेइज्जत करके वैन में डालने का कुछ सेकंड का वीडियो सामने आया, वही पाकिस्तान की जनता को नागवार गुजरा। वह कहते हैं कि इमरान खान के खिलाफ पहले भी बहुत से मुकदमे दर्ज रहे हैं। लेकिन वह अपने समर्थकों को यह समझाने में सफल रहे हैं कि सभी मुकदमे सियासी रूप से उनके ऊपर लादे गए हैं। ऐसे में जब इमरान के समर्थकों को पाकिस्तानी रेंजर्स की ओर से कॉलर पकड़कर घसीटते हुए ले जाने का वीडियो वायरल हुआ, तो सेना के अधिकारियों और उन बड़े प्रमुख लोगों के लिए इमरान समर्थकों में नाराजगी हो गई, जिन्हें लेकर इमरान लगातार बयान देते रहते थे। इसके अलावा इमरान खान की पार्टी के नेताओं ने भी ऐसे बयान देने शुरू किए, जिसमें यह कहा गया कि पाकिस्तानी रेंजर्स ने इमरान खान को मारा-पीटा भी है। यही वजह रही कि पाकिस्तान में इमरान के समर्थकों ने सेना मुख्यालय से लेकर आईएसआई के बड़े बड़े अधिकारियों और सेना के तमाम बड़े अधिकारियों के घरों को आग लगा दी।
विदेशी मामलों के जानकार रिटायर्ड कर्नल एसएन पुरी कहते हैं कि 2018 के चुनावों में सत्ता इमरान खान को ही मिली थी। इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिहाज से इमरान खान पाकिस्तान के बड़े नेता हैं। 2022 में सियासी घटनाक्रम के चलते वहां पर बड़े राजनैतिक फेरबदल हुए। लेकिन इमरान खान का वजूद पाकिस्तान की आवाम में जरूर बना रहा। कर्नल पुरी कहते हैं कि देखने वाली बात यही है कि लगातार इमरान खान उस पाकिस्तानी सेना और इंटेलिजेंस एजेंसियों को निशाने पर लेते रहे, जिसको पाकिस्तान की जनता अपने सिर आंखों पर बिठा कर घूमती थी। बावजूद इसके इमरान के समर्थकों ने इमरान के लिए कोई नाराजगी नहीं रखी। वह कहते हैं कि पहले भी ऐसा हुआ, लेकिन जब प्रधानमंत्रियों ने सेना के खिलाफ आग उगलनी शुरू की, तो जनता ने उनका ही विरोध करना शुरू कर दिया। आईएसआई और सेना को यहीं पर अपने खिलाफ बनने वाले जनाधार का अहसास होना शुरू होने लगा और पाकिस्तान में हालात बिगड़ने की शुरुआत हो गई।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर और विदेशी मामलों के जानकार डॉ. अभिषेक सिंह कहते हैं कि एक समय था जब सेना और आईएसआई के बीच में बहुत तारतम्य नहीं था। लेकिन बीते कुछ समय में सेना और आईएसआई के बीच में यह ट्यूनिंग इतनी जबरदस्त हुई कि उनको पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की अपने लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा में न सिर्फ बगावत नजर आने ल,गी बल्कि यह अहसास भी होने लगा कि कहीं सेना का वर्चस्व पाकिस्तान में कम ना होने लगे। यही वजह रही कि इमरान खान की गिरफ्तारी के लिए रावलपिंडी स्थित सेना के मुख्यालय में इमरान खान की गिरफ्तारी का पूरा ड्राफ्ट तैयार किया गया। वह कहते हैं कि जिस तरीके से इमरान खान की कॉलर पकड़कर घसीटते हुए गिरफ्तार किया गया और वैन में डाला गया। वह सब कुछ एक सुनियोजित तरीके से सेना की ओर से पहले से तयशुदा योजना ही मालूम पड़ रही है। ताकि सेना पर लगातार जुबानी हमला कर रहे इमरान खान को इस तरह से बेज्जत और धक्के मार कर के गिरफ्तार करने से सेना को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिल जाएगा।

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