उत्तराखंड

राज्य में बड़ी परियोजनाओं पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

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देहरादून। चिपको आंदोलन की वर्षगांठ पर आयोजित जन सम्मेलन में पर्यावरण विशेषज्ञों ने राज्य में बड़ी परियोजनाओं और बड़े निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े किए हैं। अग्रवाल धर्मशाला में दून शहर एवं उत्तराखंड में विकास के नाम पर लाई जा रही बड़ी बड़ी परियोजनाओं से होने वाले संभावित खतरों पर चर्चा के दौरान वक्ताओं ने कहा कि जोशीमठ की त्रासदी के बाद भी विकास के नाम पर ऐसी नीतियों पर अमल किया जाना खतरनाक है। इनसे सीधे तौर पर स्थानीय लोग प्रभावित हो रहे हैं। हमारे बुजुर्गों ने उन खतरों को पहले ही पहचान लिया था, लिहाजा चिपको जैसे आंदोलन ने जन्म लिया। दून की दोनों नदियों पर प्रस्तावित एलिवेटेड सड़क पर सवालों के घेरे में है। ऐसी अवैज्ञानिक परियोजनाओं से शहर में जलभराव, प्रदूषण और अन्य नई समस्याएं पैदा होगी। वक्ताओं ने मांग की कि किसी भी परियोजना को फाइनल करने से पहले सरकार जनता के सामने श्वेत पत्र लाकर स्पष्ट करे कि ऐसी परियोजनाओं की जरूरत क्या है। चर्चा में पर्यावरणविद रवि चोपड़ा, उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी नरेश नौडियाल, कुलदीप मधवाल, हिन्द स्वराज मंच के बीजू नेगी, चेतना आंदोलन की सुनीता देवी, पीपल्स साइंस मूवमेंट के कमलेश खंतवाल, विजय भट्ट, त्रिलोचन भट्ट, सर्वोदय मंडल के हरबीर सिंह कुश्वाहा, विजय शुक्ला ने विचार रखे। मौके पर राकेश पंत, गजेंद्र बहुगुणा, अशोक कुमार, प्रभु पंडित, राजेंद्र शाह, रामु सोनी, संजय साहनी, नरेश कुमार, सिकंदर कुमार, घनश्याम सिंह मौजूद रहे। सीपीआई, सीपीएम, समाजवादी पार्टी, सीटू, अखिल भारतीय किसान सभा ने सभा का समर्थन किया। चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने संचालन किया।

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