सैन्य अफसरों के वित्तीय फायदों पर चली कैंची, अब जीपीएफ खाते में जमा करा सकेंगे केवल पांच लाख रुपये
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं के अधिकारियों के वित्तीय फायदों पर कैंची चला दी है। प्रधान रक्षा लेखा नियंत्रक (अधिकारी) द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि अब रक्षा क्षेत्र के सभी अधिकारी, अपने ‘जनरल प्रोविडेंट फंड’ अकाउंट यानी ‘सामान्य भविष्य निधि’ खाते में एक वर्ष के दौरान केवल पांच लाख रुपये ही जमा करा सकेंगे। सरकार ने ‘जीपीएफ’ में पैसा जमा कराने की अधिकतम सीमा तय कर दी है। जानकारों का कहना है कि इससे पहले सेना के वरिष्ठ अफसर हर माह अपनी पूरी बेसिक सेलरी, जीपीएफ में जमा करा देते थे। इसके चलते सरकार ने अब ‘जनरल प्रोविडेंट फंड’ में जमा कराई जाने वाली राशि की एक सीमा निर्धारित कर दी है।
भारत सरकार के सबसे पुराने विभागों में से एक ‘रक्षा लेखा विभाग’ (डीएडी) के अंतर्गत आने वाले पीसीडीए (ओ) द्वारा 19 मार्च को उक्त आदेश जारी किया गया है। इस प्रतिष्ठित विभाग के शीर्ष पर रक्षा लेखा महानियंत्रक (सीजीडीए) है। यह विभाग सेना के अधिकारियों को वेतन, भत्ते की अपरिहार्य सुविधा प्रदान करने, सावधानीपूर्वक लेखांकन करने और व्यापक आंतरिक ऑडिट करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विभाग का पूरा ध्यान, रक्षा अधिकारियों के व्यय और प्राप्तियों के प्रबंधन पर रहता है। इससे पहले साल 2023 में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए भी ‘जनरल प्रोविडेंट फंड’ में पैसा जमा कराने की अधिकतम सीमा तय कर दी गई थी। भारत सरकार के लोक शिकायत, कार्मिक और पेंशन मंत्रालय के तहत पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा छह जनवरी, 2023 को जारी अपने आदेश में कहा था, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी, पांच लाख रुपये से ज्यादा की राशि जीपीएफ में जमा नहीं करा सकेंगे। जब तक अखिल भारतीय सेवा ‘भविष्य निधि नियम 1955’ में संशोधन नहीं होता है, तब तक वहीं नियम लागू होंगे, जिनके तहत केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पांच लाख रुपये से ज्यादा की राशि जीपीएफ में जमा नहीं कराने का आदेश जारी किया गया था।
इस संबंध में केंद्र के कई विभागों के नियमों में थोड़ा बहुत ही अंतर होता है। अखिल भारतीय सेवा ‘भविष्य निधि नियम 1955’, केंद्र सरकार के सिविल कर्मी, रक्षा विभाग और रेलवे में कुछ नियम अलग होते हैं। हालांकि ये नियम आपस में मिलते-जुलते हैं, लेकिन इनके नियमों का सेट अलग रहता है। डीओपीटी ने कहा है कि जब तक अखिल भारतीय सेवा ‘भविष्य निधि नियम 1955’ में संशोधन नहीं किया जाता, तब तक इस सेवा के अधिकारियों पर भी वही नियम लागू होंगे, जिनके अंतर्गत केंद्रीय कर्मियों पर जीपीएफ की नई शर्त लागू की गई है। पिछले साल पहली जनवरी से आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और दूसरी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी भी जीपीएफ में पांच लाख रुपये से ज्यादा की राशि जमा नहीं करा सकेंगे। इस बाबत सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा गया था। दो वर्ष पूर्व केंद्रीय कर्मियों पर पांच लाख रुपये से ज्यादा की राशि जीपीएफ में जमा नहीं कराने का नियम लागू किया गया था। उस वक्त आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और दूसरी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को इस दायरे में बाहर रखा गया था।
जब कर्मियों के लिए उक्त आदेश जारी हुआ, तब केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने कहा था, अब कोई भी सरकारी कर्मचारी पांच लाख रुपये से ज्यादा की राशि जीपीएफ में जमा नहीं करा सकेगा। उनका आरोप था कि केंद्र सरकार का यह कदम, कर्मियों से आर्थिक फायदा छीनने की कोशिश है। पहले यह नियम था कि कोई भी कर्मचारी, भविष्य निधि में अपने कुल मेहनताने का छह फीसदी जमा कराता था। अनेक ऐसे कर्मचारी भी थे, जो अपने मेहनताने का छह, दस या बीस फीसदी और उससे ज्यादा राशि भी जमा करा देते थे। इस जमा राशि पर जो ब्याज मिलता है, वह सामान्य तौर पर बैंकों के मुकाबले ज्यादा रहता है। मौजूदा समय में जीपीएफ के खाताधारकों को 7.1 फीसदी दर से ब्याज मिलता है।
दो वर्ष पहले डीओपीटी के समक्ष, कुछ ऐसे सवाल भी आए थे कि जिन कर्मियों की 2022-23 में जमा राशि पांच लाख रुपये के करीब पहुंचने वाली थी, तो उस स्थिति में क्या किया जाए। पेंशन मंत्रालय ने कहा था कि पहले जीपीएफ में कम से कम छह फीसदी राशि जमा कराना अनिवार्य था। यानी जो भी कर्मी जीपीएफ के दायरे में आता है, उसे इतनी राशि तो जमा करानी ही पड़ती थी। बहुत से कर्मचारी इससे ज्यादा राशि भी जमा कराते थे। इसके बाद जीपीएफ खाते में छह फीसदी राशि जमा कराने वाली शर्त लागू हो गई। इसकी अधिकतम राशि भी तय कर दी गई। इसके चलते कोई भी कर्मचारी या अधिकारी किसी भी तरह से पांच लाख रुपये से अधिक की राशि जीपीएफ में जमा नहीं करा सकता। 2022-23 के लिए जिन कर्मियों की राशि पांच लाख रुपये से अधिक हो गई है, उनके खाते पर कैप लगा दी जाए। तब कहा गया था कि चालू वित्त वर्ष के लिए उनके जीपीएफ खाते में कोई राशि जमा नहीं होगी। जिन कर्मियों की जमा राशि पांच लाख रुपये होने वाली है, वहां भी ध्यान रखा जाए कि वह पांच लाख के ऊपर न जाने पाए। पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत जो भी कर्मी या अधिकारी आते हैं, उन्हें जीपीएफ की सुविधा मिलती है। जीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज 80सी के तहत टैक्स के दायरे से बाहर रहता है।