उत्तराखंड

क्लस्टर स्कूलों के निर्णय पर दोबारा विचार करे सरकाररू टम्टा

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बागेश्वर। सरकार द्वारा कलस्टर स्कूलों के निर्णय पर एससीएसटी शिक्षक एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने सरकार से निर्णय पर दोबारा विचार करने की मांग की है। एसोएिशन के प्रांतीय अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सरकार ने आसपास के चार-पांच स्कूलों का एक विद्यालय में विलय करते हुए एक विद्यालय चलाने का निर्णय लिया गया है। स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रदेश भर में 100 क्लस्टर स्कूल खोलने का निर्णय किया गया है। इस प्रकार से 100 क्लस्टर स्कूल खोलने से लगभग 400 से अधिक स्कूल बंद किए जाने हैं।गांव में जिन क्षेत्रों में ग्रामीणों का पलायन हो चुका है उन क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करना समझ में आता है, लेकिन आबादी बाहुल्य क्षेत्रों में विद्यालयों को बंद करना अनुचित है। आज प्रदेश के 1200 से अधिक माध्यमिक विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन चल रहे हैं। प्रदेश भर के विद्यालयों में 60 फीसदी से भी अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं। प्राथमिक स्तर पर आधे से अधिक विद्यालय एकल शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। शिक्षकों पर शिक्षण कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्यों का दायित्व लगातार बढ़ता जा रहा है। इन सब कारणों से विद्यालयों में छात्र संख्या कम होती जा रही है। ऐसी स्थिति में इन विद्यालय में शिक्षक एवं अन्य संसाधन बढ़ाते हुए मध्यम वर्ग के बच्चों को स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के बजाय उन विद्यालयों को बंद कर देना अनुचित है। टम्टा ने कहा कि आज भी इस प्रदेश के 70 फीसदी बच्चे अपनी शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं। जिसमें से कमजोर मजदूर गरीब दलित परिवारों के 90 फीसदी बच्चे इन्हीं विद्यालयों में पढ़ते हैं।इन विद्यालयों को बंद करने के बजाय इन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति करने के साथ ही शैक्षिक संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास करना चाहिए। सरकार को इस पर पुन विचार करना चाहिए।

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