जयपुर , जयपुर जिले के तूंगा थाना क्षेत्र में सोमवार देर रात एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब 40 यात्रियों से भरी एक चलती स्लीपर कोच बस के टायरों में आग लग गई। अधिकांश यात्री उस समय सो रहे थे। हादसा लालसोट रोड स्थित वीर तेजाजी धर्मकांटे के पास हुआ, जहां पुलिसकर्मियों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। तेज रफ्तार बस, नींद में डूबी सवारियां और जलते टायर
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस दौड़ रही थी और अचानक उसके पिछले टायरों से धुआं उठने लगा। कई किलोमीटर तक बस यूं ही जलते टायरों के साथ दौड़ती रही, जबकि भीतर दर्जनों सवारियां नींद में थीं। अगर समय पर यह आग बस के अंदर तक पहुंच जाती, तो जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता था।
पुलिसकर्मियों ने चेतक वाहन से की पीछा कर बस रुकवाई
तूंगा थाना प्रभारी श्रीराम मीणा के अनुसार, थाना क्षेत्र में गश्त पर मौजूद चेतक वाहन में तैनात पुलिसकर्मियों की नजर बस के टायरों से उठते धुएं और आग की लपटों पर पड़ी। उन्होंने तुरंत चेतक से बस का पीछा किया और चालक को संकेत देकर बस रुकवाई।
जैसे ही बस रुकी, पुलिसकर्मी तेजी से बस में चढ़े और यात्रियों को नींद से जगाते हुए बाहर निकाला। कई यात्री स्थिति को समझ ही नहीं पाए थे और घबराहट में थे। इसी बीच दूसरी पुलिस टीम ने पानी से आग बुझाने की कोशिश शुरू कर दी और फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई।
फायर ब्रिगेड पहुंचने से पहले ही पुलिस ने संभाली स्थिति
सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड मौके के लिए रवाना हुई, लेकिन उससे पहले ही पुलिसकर्मियों ने प्राथमिक उपायों से आग पर काबू पा लिया। इसके साथ ही कंट्रोल रूम को सूचना दी गई, जिसके बाद डीसीपी ईस्ट स्वयं घटनास्थल पर पहुंचीं और स्थिति का जायजा लिया।
सवारियों को सुरक्षित निकाला, दूसरी बस से जयपुर भेजा गया
सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद, उन्हें दूसरी बस में बैठाकर जयपुर रवाना किया गया। प्रशासन की तत्परता और पुलिस की संवेदनशीलता के कारण किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।
आग लगने का कारण जांच के दायरे में
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि टायरों में आग लगने की वजह क्या थी। आशंका जताई जा रही है कि ओवरहीटिंग, ब्रेक जाम या तकनीकी खामी के कारण टायरों में घर्षण हुआ होगा। हालांकि, इस विषय में यातायात पुलिस और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा जांच की जा रही है।
यात्रियों की प्रतिक्रिया : ‘अगर पुलिस नहीं होती, तो…Ó
बस में सवार यात्री राजेंद्र यादव (उम्र 42) ने बताया, मैं नींद में था और अचानक हल्ला मचने पर उठा। जब देखा कि पुलिस वाले बस में चढ़कर सभी को उतार रहे हैं तो समझ आया कि कुछ बड़ा हुआ है। अगर वे समय पर न आते, तो शायद हम में से कई लोग आज ज़िंदा न होते।
एक अन्य यात्री नीलम शर्मा (उम्र 35) ने कहा, पुलिस की सतर्कता वाकई काबिले तारीफ है। बस में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी थे।
क्या कहता है कानून?
चलती बस में तकनीकी खराबी या सुरक्षा में चूक के लिए परिवहन कंपनी और बस संचालक पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यदि जांच में लापरवाही साबित होती है, तो मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना और वाहन जब्ती तक की कार्रवाई संभव है।
प्रशासन का बयान
डीसीपी ईस्ट ने कहा, पुलिसकर्मियों की सजगता से बड़ी दुर्घटना टल गई। यह एक उदाहरण है कि यदि जमीनी स्तर पर तंत्र सतर्क हो, तो बड़े हादसों को रोका जा सकता है। पूरे मामले की जांच जारी है और बस ऑपरेटर से भी पूछताछ की जा रही है।