भारतीय वायुसेना की फ्यूचर वारफेयर तैयारी, कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में बनी भविष्य की रणनीति

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नईदिल्ली, भारतीय वायुसेना की पश्चिमी वायु कमान ने राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इस सम्मेलन की अध्यक्षता वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने की. इस वर्ष इस कार्यक्रम की थीम भारतीय वायुसेना- सशक्त, सक्षम, आत्मनिर्भर” पर केंद्रित थी. इस सम्मेलन में वायुसेना प्रमुख ने भी शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कमांडरों के साथ बातचीत की. जिसमें उन्होंने भविष्य के बहु-डोमेन युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए उनकी तैयारी पर जोर दिया. इसके साथ ही वायु सेना प्रमुख ने प्रशिक्षण, योजना, सुरक्षा और नए उपकरणों के शीघ्र संचालन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया. इसके साथ ही उन्होंने नेतृत्व विकास के महत्व को रेखांकित किया, जिससे भारतीय वायुसेना एक सशक्त और आधुनिक बल के रूप में दुनिया के सामने उभर कर आए.वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने अपने संबोधन में वायुसेना के मूल्यों- मिशन, इंटीग्रिटी और एक्सीलेंस को बनाए रखने की सराहना की. इसके साथ ही उन्होंने डब्ल्यूएसी की आपदा राहत अभियानों में तत्परता और उच्च परिचालन क्षमता की सराहना करते हुए इसे एक हमेशा तैयार लड़ाकू बल करार दिया. सीएएस ने आधुनिक उपकरणों के त्वरित परिचालन और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदमों पर भी जोर दिया.
यह सम्मेलन भारतीय वायुसेना की दीर्घकालिक रणनीति और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. प्रशिक्षण और उपकरणों में सुधार के साथ-साथ नेतृत्व विकास की प्रक्रिया, वायुसेना को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए और अधिक सक्षम बनाएगी.
बता दें कि भारतीय वायु सेना का आदर्श वाक्य ‘शान से आकाश को छूना’ है. जिसे गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है जो महाभारत के युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र के मैदान पर भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया प्रवचन है. भारतीय वायु सेना में एक योद्धा के तौर पर आपके ऊपर संविधान को कायम रखने और भारत की स्वतंत्रता की रक्षा करने की जिम्मेदारी होती है. जो बहुत बड़ी है, लेकिन यह केवल काम से संबंधित नहीं है.

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