गणेश सिंह गरीब ने दिया चकबंदी दो वोट लो का नारा
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : कल्जीखाल विकासखंड के राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ भवन में चकबंदी के प्रेणता गणेश सिंह गरीब का 88वां जन्म दिवस चकबंदी दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर गणेश सिंह गरीब ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से लगातार हो रहे पलायन का दु:खड़ा तो हर राजनीतिक दल का नेता रोता रहता है, लेकिन पलायन के पीछे क्या कारण है इसके कारणो की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जनता को चकबंदी दो और वोट लो का नारा देकर नेताओं पर चकबंदी लिए दबाव बनाना होगा। नेता स्वयं पहाड़ी जनता के वोट झपट कर खुद मैदान में बस गए हैं। इसलिए उनका सरोकार केवल वोट तक ही तक सीमित रह गया है।
इस मौके पर चकबंदी पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि चकबंदी के लिए गणेश सिंह गरीब ने 44 साल से संघर्ष कर रहे है। इसलिए सरकार को उन्हें पद्यमश्री पुरस्कार देना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक ग्रामीण पत्रकार जगमोहन डांगी ने गणेश सिंह गरीब की 44 सालों से चकबंदी के लिए किए गए जन आंदोलन पर उनके संघर्ष के बारे में बताया। संगोष्ठी में चकबंदी आंदोलन के समर्थक शेखरानंद मंझेड़ा, पूर्व कनिष्ठ प्रमुख अनिल कुमार, पूर्व सांसद प्रतिनिधि जयकृत सिंह पटवाल, रेखा देवी, मंजीता देवी ने भी अपने विचार रखे। चकबंदी आंदोलन के प्रणेता गणेश सिंह गरीब ने कहा कि राज्य गठन के 24 साल के बाद भी उत्तराखंडियों को पहाड़ के सुनियोजित विकास के मूल तो दूर आवरण की अवधारणा तक ढांचा तैयार कहीं नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने पहाड़ से निरंतर हो रहे पलायन के लिए सरकारों की नीतियां जिम्मेदार है। सरकारों की नीतियों ने हमेशा ही गांव की उपेक्षा की है। गांव का पलायन रोकना एक मात्र विकल्प चकबंदी ही हो सकती है। उन्होंने कहा कि चकबंदी है पहाड़ की बंजर खेती को संजीवनी देने की काम करेगी। उन्होंने पहाड़ में हो रहे पलायन के लिए सरकारों की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सरकारें सिर्फ गांव तक बिजली, पानी और सड़क पहुंचने तक ही सीमित है। इस अवसर पर कृषि और बागवानी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे कास्तकार सुनील पटवाल ग्राम फल्दा को उन्नत कृषक के रूप में सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन विक्रम पटवाल ने किया।