गन्ना मूल्य बढ़ाये जाने की मांग को लेकर कांग्रेसियों ने किया प्रदर्शन
रुद्रपुर। गन्ना समर्थन मूल्य बढ़ाये जाने को लेकर कांग्रेसियों ने चीनी मिल गेट पर दरी बिछाकर धरना दिया। कांग्रेसियों ने गन्ने का रेट कम से कम चार सौ रुपये प्रति कुंतल करने की मांग उठाई। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने धरना स्थल पर पहुंच कर किसानों की मांगों का समर्थन किया और सरकार को किसान विरोधी बताया। सोमवार को हुए धरना-प्रदर्शन में कांग्रेसियों ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करती है, लेकिन लगातार किसानों की दुर्दशा हो रही है। तराई क्षेत्र गन्ने की बेल्ट है। किसान की आय गन्ने के मूल्य पर निर्भर करती है। हर साल गन्ने की बुवाई से संबंधित व्यय लगातार बढ़ता जा रहा है, सरकार गन्ने के दाम नहीं बढ़ा रही है। इससे किसानों को नुकसान हो रहा है। किच्छा में एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चीनी मिल पहुंच कर किसानों की मांगों का समर्थन किया। रावत ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार ने जो गन्ने का मूल्य घोषित किया था। उसको वर्तमान की सरकार बढ़ा नहीं पाई है। उन्होंने खरीद मूल्य समय पर घोषित करने के साथ ही गन्ने का भी समय से भुगतान किया। उन्होंने किसानों को गन्ना की फसल बोने के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया। इसके लिए उन्होंने पूरे राज्य के अंदर अभियान चला कर कोयम्बटूर एवं गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ से बीज लाकर पुराने बीज से रिपलेस कराया। वर्तमान में सारी योजनाएं ठप होने से ही किसानों का उत्पीड़न हो रहा है। जो शीरे एवं बिजली के करार किए गये थे उसको भी वर्तमान सरकार ने रोक दिया है। रावत ने भाजपा पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया। इस दौरान रावत ने चीनी मिल गेट पर कांग्रेसियों के साथ प्रदर्शन करते हुए भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन करने वालों में पुष्कर राज जैन, संजीव सिंह, हरीश पनेरु, गणेश उपाध्याय, सुरेश पपनेजा, विनोद कोरंगा, बंटी पपनेजा, शिवाजी सिंह, लियकत अली, जीशान मलिक, पप्पू छीना आदि रहे।
उत्तराखंड के नजरिये से निराशाजनक बजट: हरदा
किच्छा। चीनी मिल में चल रहे धरने को समर्थन देने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केन्द्र सरकार के बजट को उत्तराखंड के नजरिए निराशाजनक बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि बजट में हिमालयी राज्यों के साथ आमजन की भी उपेक्षा हुई है। बजट में कोई नई योजनाएं नहीं है। बीते 2014 से भाजपा सरकार किसानों के जबानी योजनाएं चला रही है। सरकार के पास किसानों के लिए धरातल पर कुछ नहीं है।