उत्तराखंड

आम के निर्यात और उचित मूल्य की उठाई बागवानों ने मांग

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रुद्रपुर। कलेज अफ एग्रीकल्चर जीबी पंत षि और प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के शोध निदेशालय ने उद्यान अनुसंधान केन्द्र पत्थचट्टा और उद्यान विज्ञान विभाग षि महाविद्यालय पंतनगर में एक दिवसीय मैंगो डे और सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान कुमाऊं के बागवान संगठन से जुड़े आम और फल उत्पादकों ने उनके उत्पाद को दक्षिण भारत और विदेशों में निर्यात के लिए भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के उद्यान निदेशालय की उदासीनता और उपयुक्त सुविधा नहीं मिलने से उनके उत्पादित आम की सही कीमत नहीं मिल पा रही है। उन्होने सिडकुल कनकोर प्राइवेट लिमिटेड से भी आम समेत अन्य फलों को भेजने के लिए रेफिजरेटर कंटेनर उपलब्ध कराने और भाड़ा और ढुलान की कीमतों में राहत देने की मांग की। इस दौरान उत्पादकों कहा कि उन्हें सब्सिडी नहीं सुविधा चाहिए। जिससे उनकी उपज को उचित दाम मिल सकें और विदेशों में इसका निर्यात हो सके।
कुमाऊं के बागवान संगठन के कर्नल प्रमोद शर्मा ने कहा कि आम उत्पादकों के सामने सबसे अधिक समस्या आम को दक्षिण भारत और विदेशों में भेजने में हो रही है। किसान का आम दिल्ली की मंडियों में 18 से 20 रुपये किलो बिक रहा है। जबकि महाराष्ट्र आदि से कई सौ टन आम का विदेशों में निर्यात हो रहा है। उन्होंने कहा कि आम को यहां से दक्षिण भारत और विदेशों तक भेजने के लिए रेफिजरेटर कंटेनरों और वैन की जरूरत होती है। इस उत्तराखंड में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आम समेत आडू, सेब और नाशपाती को भी विदेशों में भेजने की व्यवस्था नहीं है। इसके चलते उत्पादक मायूस हैं और बेहद कम कीमतों में स्थानीय मंडी में ही अपनी उपज भेजनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि कंटनेर कपरपोरेशन अफ इंडिया के जरिए आम को दक्षिण भारत और विदेशों में भेजने की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें सब्सिडी नहीं चाहिए, हमें सुविधा दे दें। इस दौरान नेशनल हर्टिकल्चर बोर्ड की देहरादून शाखा के सह निदेशक अनिल कुमार तोमर ने उत्पादकों को उनकी समस्याओं के समाधान का भरोसा दिया। वहीं केन्द्रीय उद्यान बोर्ड में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने वाले जसवीर सिंह भट्टल ने भी उत्पादकों को इस समस्या के समाधान का भरोसा दिया।

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