उत्तराखंड

शहरों में भूमि रखने की अधिकतम सीमा तय करे सरकार

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अल्मोड़ा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने प्रदेश में किसी भी गरीब व्यक्ति को बिना पुनर्वास के अतिक्रमण के नाम पर न हटाने के लिए कानून बनाने की मांग की है। वहीं सरकार से शहरों में भूमि रखने की अधिकतम सीमा तय करने की भी जोरदार तरीके से वकालत की है। मामले में शुक्रवार को पार्टी कार्यकर्ताओं समेत विभिन्न जन संगठनों ने प्रशासन के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा में पिछले दिनों हुई अफरातफरी के पीटे सरकार की अदूरदृष्टि नीति व न्यायालय में मामले को उचित रूप से न रखने को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लाखों लोग जिनमें सभी धर्मों, जातियों के लोग शामिल हैं। सरकार की कथित नजूल भूमि पर रहते हैं। सरकार व प्रशासन उन्हें समय- समय पर नोटिस जारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर गरीब, मेहनत करने वालों के प्रति सरकार कहर ढाती है, दूसरी ओर उत्तराखंड आज पूंजीपतियों, भू माफिया का ऐशगाह बन गया है। ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। इसमें अल्मोड़ा का डांडाकांडा भी शामिल है। उन्होंने कहा कि यदि संपत्ति का इसी तरह कुछ लोगों के पक्ष में केंद्रीकरण हुआ तो आम लोगों का जीवन दूभर हो जाएगा। ज्ञापन में सरकार से शहरों में भूमि रखने की अधिकतम सीमा तय करने की मांग की गई। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि हेलंग मामले से एकजुट हुए तमाम संगठनों के प्रदेश व्यापी आह्वान को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहां ज्ञापन सौंपने वालों में उपपा की केंद्रीय उपाध्यक्ष आनंदी वर्मा, महासचिव नारायण राम, केंद्रीय कार्यकारणी के सदस्य एड. गोपाल राम, राजू गिरी, वसीम, किरन आर्या, नगर अध्यक्ष हीरा देवी, रमा आर्या, उछास की भारती पांडे, दीपांशु पांडे, उलोवा के पूरन चंद्र तिवारी, अजय मित्र, र्केट बोर्ड के उपाध्यक्ष जंगबहादुर थापा, उपपा की सरिता मेहरा, मीना टम्टा समेत अनेक लोग मौजूद रहे।

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