सरकार का खुलासा, राहुल ने लंदन जाने से पहले नहीं ली थी राजनीतिक मंजूरी
नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हाल ही में ब्रिटेन की यात्रा और विशेष रूप से ब्रिटिश लेबर पार्टी के नेता और लंदन में सांसद जेरेमी कर्बिन के साथ उनकी मुलाकात सवालों के घेरे में आ गई। सरकार के शीर्ष सूत्रों ने खुलासा किया है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तय प्रक्रिया को छोड़ दिया और अपनी यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी नहीं मांगी थी। शीर्ष सूत्रों ने एएनआई को बताया कि एक अन्य संसद सदस्य राष्ट्रीय जनता दल के प्रोफेसर मनोज झा भी उसी समारोह में गए थे, जिसमें राहुल गांधी ने हिस्सा लिया था। उन्होंने सभी तरह की अनुमति ली थी जिसमें उचित राजनीतिक मंजूरी भी शामिल थी। झा ने राहुल गांधी से एक दिन पहले कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भी चर्चा में हिस्सा लिया था। मंगलवार को राहुल गांधी ने यूके लेबर पार्टी के नेता और जाने-माने भारत-विरोधी जेरेमी कर्बिन के साथ मुलाकात के बाद एक तस्वीर खिंचवाई, जिससे कांग्रेस और भाजपा के बीच वाकयुद्घ छिड़ गया।
राहुल ने आइडिया फर इंडिया कन्क्लेव में चर्चा में हिस्सा लिया था और इस दौरान कहा कि लोकतंत्र खतरे में है और भारत के संविधान पर हमला हो रहा है। राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हर मुद्दे पर जानबूझकर चुप रहने का भी आरोप लगाया। ट्विटर पर राहुल गांधी और भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के बीच भी बहस भी हुई। भारतीय विदेश सेवा में पूर्ण बदलाव के संबंध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी का जवाब देते हुए ड. जयशंकर ने कहा कि बदलाव को अहंकार नहीं बल्कि विश्वास और राष्ट्रीय हित की रक्षा कहा जाता है।
राहुल गांधी ने लंदन में एक कार्यक्रम में कहा था कि यूरोप में नौकरशाहों ने उन्हें बताया था कि आईएफएस बदल गया है और अधिकारी अभिमानी हैं। जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा कि आईएफएस अधिकारी सरकार के आदेशों का पालन करते हैं और दूसरों की दलीलों का मुकाबला करते हुए राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हैं। जयशंकर ने जवाब दिया- हां, भारतीय विदेश सेवा बदल गई है। हां, वे सरकार के आदेशों का पालन करते हैं। हां, वे दूसरों के तर्कों का विरोध करते हैं। नहीं, इसे अहंकार नहीं कहा जाता है। इसे कन्फिडेंस कहते हैं। और इसे राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना कहा जाता है।
वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बुधवार को लंदन में ब्रिटिश लेबर लीडर जेरेमी कर्बिन के साथ राहुल गांधी की मुलाकात के बाद कहा कि कूटनीति में शत्रुतापूर्ण विचार रखने वाले किसी व्यक्ति के साथ जुड़ना देश के लिए अधिक उपयोगी हो सकता है, न कि केवल दोस्तों से या पहले से ही आपके पक्ष में रहे व्यक्ति से मिलना। वामपंथी नेता के साथ राहुल गांधी की मुलाकात पर आपत्ति जताते हुए भाजपा ने मंगलवार को उनसे पूछा कि क्या वह ब्रिटेन के विपक्षी नेता के भारत विरोधी विचारों का समर्थन करते हैं।
कांग्रेस ने गांधी की मुलाकात को सही ठहराया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कर्बिन की तस्वीरें साझा करते हुए पूछा कि क्या उन्होंने भी ब्रिटेन के लेबर नेता और सांसद के भारत विरोधी विचारों का समर्थन किया है। बिना किसी का नाम लिए विवाद का जिक्र करते हुए थरूर ने कहा कि लोकतंत्र का दौरा करते समय विपक्षी दलों के नेताओं से मिलना एक सामान्य प्रक्रिया है, खासकर जब आगंतुक भी लोकतंत्र से हो। थरूर ने एक ट्वीट में कहा, विदेश में किसी से मिलना शिष्टाचार का कार्य है, जो उसके सभी विचारों और नजरिए का भले ही समर्थन नहीं करता हो।