उत्तराखंड

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) का दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण

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देहरादून। उत्तराखण्ड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने 15 सितंबर, 2021 को उत्तराखण्ड के 8वें राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की। 15 सितम्बर, 2023 को श्री सिंह के कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण हो रहे हैं।
राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है और राज्य का शीर्षस्थ पद है। इन दो वर्षों में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने संवैधानिक दायित्वों का गरिमा पूर्वक निर्वहन किया है और सदैव इस बात को महत्व दिया है कि राज्य में एक लोकप्रिय चुनी हुई सरकार है, जिसको संवैधानिक मर्यादाओं और दायित्वों की सीमा में रहते हुए मार्गदर्शन प्रदान करना है।
राज्यपाल ने अपने कार्यकाल के दो वर्षों में उत्तराखण्ड में अपनी छाप छोड़ी है। उत्तराखण्ड के विकास के लिए उन्होंने पाँच मंत्र अथवा मिशन निर्धारित किए हैं जिस पर वे निरन्तर प्रयासरत हैं। ये मंत्र हैं- रिवर्स पलायन, महिला सशक्तिकरण एवं बालिका शिक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं तकनीकी, जैविक एवं प्रातिक षि और उत्तराखण्ड के लिए गेम चेंजर साबित होने वाले किसी एक क्षेत्र को पहचान कर उस पर आगे बढ़ना।
सेना में 40 वर्षों तक देश की सेवा करने के पश्चात देवभूमि में प्रदेश के प्रथम नागरिक के रूप राज्यपाल बालिका कल्याण एवं शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और पूर्व सैनिकों की समस्याओं के त्वरित निदान के प्रति समर्पित रहे हैं। राज्यपाल पद पर कार्यभार ग्रहण करने के 03 माह के भीतर ही उन्होंने प्रदेश के सभी जनपदों का भ्रमण कर जनपदों की महिलाओं, पूर्व सैनिकों, किसानों तथा जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की और वहाँ की समस्याओं के साथ-साथ वहाँ की संभावनाओं को भी बहुत करीब से देखा।
राज्य विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के नाते राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों की जवाबदेही और स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए नियुक्तियों तथा कार्य परिषदों की बैठकों में पूर्ण पारदर्शिता तथा शुचिता के दृष्टिगत बैठकों तथा तत्संबंधी कार्यवाहियों की नियमित रूप से वीडियो रिकर्डिंग करने के निर्देश जारी किये। यही नहीं विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर भी वे सदैव सजग रहे और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साक्षात्कार में पारदर्शिता लाने के लिए साक्षात्कार की भी वीडियो रिकर्डिंग की शुरुआत की गयी। अभी तक 08 कुलपतियों के पैनल के साक्षात्कार की वीडियो रिकर्डिंग की गई है।
राज्यपाल के मार्गदर्शन में राजकीय विश्वविद्यालयों से सम्बद्घ महाविद्यालयों एवं संस्थानों की सम्बद्घता प्रक्रिया को सुगम एवं प्रभावी बनाये जाने के दृष्टिगत ‘उत्तराखण्ड कलेज एफिलिएशन पोर्टल’ विकसित किया गया है। इसके अंतर्गत सम्बद्घता देने वाले 05 विश्वविद्यालयों में सम्बद्घता प्रक्रिया अनलाईन शुरू की गई है। राजभवन में पहली बार निजी विश्वविद्यालयों की नियमित बैठकें आयोजित कर सभी विश्वविद्यालयों को प्रदेश में गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ-साथ प्रदेश के विकास से संबंधित योजनाओं में सहभागी बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
राज्यपाल की प्रेरणा से राजकीय विश्वविद्यालयों के लिए मोबाइल एप ‘‘यूनिवर्सिटी कनेक्ट उत्तराखण्ड’’ और निजी विश्वविद्यालयों के लिए ‘‘यूनिसंगम’’ का शुभारंभ किया जिसके द्वारा सभी विश्वविद्यालयों के पास अपनी उपलब्धियों, बेस्ट प्रेक्टिसिज, कार्यक्रमों, विषय-विशेषज्ञों, सूचनाओं, स्टार्टअप, शोध और विकास को आपस में और राजभवन के साथ अनलाइन संवाद के जरिये साझा किए जाने की सुविधा उपलब्ध है। इन मोबाइल एप के माध्यम से उत्तराखण्ड के समस्त राजकीय एवं निजी विश्वविद्यालय एक प्लेटफर्म पर राजभवन के साथ जुड़ गये हैं। इसकी मनीटरिंग स्वयं राज्यपाल द्वारा नियमित रूप से की जा रही है।
उन्होंने श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, टिहरी के ‘‘ईआरपी पोर्टल’’ का शुभारंभ किया। पोर्टल की सहायता से विश्वविद्यालय में पंजीत छात्र-छात्राओं को अपनी डिग्री, माइग्रेशन, सर्टिफिकेट, प्रोविजनल डिग्री, अनलाइन प्राप्त की जा रही है। राज्यपाल के मार्गदर्शन में दून विश्वविद्यालय द्वारा ई-लाईब्रेरी विकसित की गई जिसमें छात्र-छात्राओं और अध्यापकों के लिए अनलाइन ही 9 लाख से अधिक स्टडी मटीरियल उपलब्ध हैं। इसका शुभारंभ भी राज्यपाल द्वारा किया गया।
उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय और जीबी पंत विश्वविद्यालय में डीन और डायरेक्टर की बैठक कर उनसे शोध कार्यों की गुणवत्ता और बेस्ट प्रेक्टिसिज के संबंध में चर्चा की। अन्य विश्वविद्यालयों में भी बैठकें प्रस्तावित की गई हैं। राज्यपाल की नई वेबसाइट भी विकसित की गई है जिसमें जहां राज्य सरकार एवं केंद्रीय सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न उपयोगी योजनाओं से संबंधित वेबसाइट का भी लिंक उपलब्ध कराया गया है वहीं राजभवन के न्यूज लेटर भी विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध कराये गये है।
राज्यपाल ने दो वर्षों में प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों सहित चमोली, धारचूला, नाबिढांग, ज्योलिंगकाँग, मलारी जोशीमठ जैसी अग्रिम चौकियों का दौरा किया है और वहां तैनात जवानों से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाया। प्रदेश में स्थित 51 वाइब्रेंट विलेज में से 18 गांवों का दौरा कर चुके हैं। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के अंतर्गत आने वाले जनपदों और मंदिरों का भ्रमण कर वहां की अवस्थापना सुविधाओं और विकास की जानकारी ली।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राजभवन के दरवाजे आम जन, सैनिकों और उनके आश्रितों हेतु हमेशा के लिए खोल दिए। राजभवन में पदक विजेताओं, वीरांगनाओं और अक्षम पूर्व सैनिकों को अपाइंटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है वे किसी भी समय राज्यपाल से मिल सकते हैं। सैनिकों और उनके आश्रितों की समस्याओं के निस्तारण के लिए राजभवन में शिकायत निवारण अधिकारी की तैनाती की है, जो केवल पूर्व सैनिकों से संबंधित शिकायतों का निस्तारण करता है। पूर्व सैनिकोंध्उनके आश्रितों आदि से संबंधित लगभग एक हजार शिकायतें, समस्याएं और सुझाव प्राप्त हुए जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत का समाधान किया जा चुका है।
राजभवन में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित स्मार्ट अटोमेशन सिस्टम का कार्य गतिमान है जो जल्द ही प्रारंभ हो जाएगा। स्मार्ट अटोमेशन सिस्टम के पहले चरण में अनलाईन गेट-पास तथा ई-इन्विटेशन सिस्टम शुरू किया जाएगा। इसके अंतर्गत राजभवन आने वाले आगंतुकों द्वारा कहीं से भी अनलाइन अप्लाई किया जा सकेगा। इसमें कार्य अंतिम चरण में है और वर्तमान में सिक्योरिटी अडिट की प्रक्रिया गतिमान है। राज्यपाल के निर्देशन में तकनीकी विश्वविद्यालय यूटीयू की सहायता से राजभवन हेतु इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया जा रहा है। जिसमें राजभवन स्थित सभी इन्वेंट्री पर बार कोड लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। बार कोड के माध्यम से चीजों की जानकारी उपलब्ध रहेगी। इसके लिए क्यूआर कोड भी विकसित किया गया है।
राज्यपाल के निर्देशन में ‘‘पथ-प्रदर्शक’’ कार्यक्रम में प्रतिवर्ष गरीब मेधावी छात्रों केंद्रीय संस्थाओं में चयनित होने पर स्कलरशिप और प्रोत्साहन स्वरूप धनराशि वितरित की गई। वहीं उन्होंने सिविल सेवा में चयनित उत्तराखण्ड के सफल अभ्यर्थियों को राजभवन में सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने उत्ष्ट कार्य करने वाले जिले के जिलाधिकारियों को सम्मानित किए जाने की नई पहल की शुरूआत की। इसके तहत 2022 में उन्होंने 05 जिलाधिकारियों को राजभवन में सम्मानित किया। इसके अलावा 2023 उत्ष्ट शोध करने वाले 06 शोधार्थियों को गवर्नर्स रिसर्च अवार्ड से सम्मानित किया।
राजभवन अडिटोरियम का उपयोग विभिन्न जन-जागरूकता कार्यक्रमों तथा लोक महत्व के विषयों पर चर्चा के लिए किया जाता है। राजभवन में आर्थराइटिस रोग, ब्रेस्ट र्केसर के उपचार एवं रोकथाम के संबंध में जागरूकता के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया। वहीं आयुर्वेद एवं मर्म पर चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
उन्होंने स्वामी विवेकानंद हेल्थ मिशन सोसाइटी के ‘‘चारधाम साथी मोबाइल एप्लीकेशन’’ को लांच किया। इस मोबाइल एप के उद्देश्य से चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों को स्वास्थ्य जरूरतों की जानकारी उपलब्ध कराना है। इस मोबाइल एप के द्वारा यात्री नजदीकी विवेकानंद हेल्थ मिशन चिकित्सालय की जानकारी, वहां उपलब्ध सेवाएं, आपातकालीन नंबर की जानकारी आदि प्राप्त कर सकते हैं।
राज्यपाल के निर्देशन में संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी हेतु उत्तराखण्ड के तीन विश्वविद्यालयों में कोचिंग सेंटर शुरू किए जाने की कार्यवाही गतिमान है। इन कोचिंग सेंटरों में छात्रों से सिविल सेवा की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाएगी जिसमें लड़कियों और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को वरीयता दी जाएगी। कोचिंग सेंटर दून विश्वविद्यालय देहरादून, गोविन्द बल्लभ पंत षि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर और श्री देव सुमन विश्वविद्यालय केाषिकेश र्केपस में संचालित किये जाने प्रस्तावित है।
राजभवन परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के अंतर्गत ‘‘ग्रीन राजभवन’’ बनाये जाने की कवायद जारी है। वर्षा जल संरक्षण प्रणाली के कार्यों के अंतर्गत 200 किलोलीटर पानी का संरक्षण और बचत की जा रही है। राजभवन में आयुर्वेदिक मर्म चिकित्सा केंद्र की शुरुआत की गयी जिससे राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सुविधाएं मिली।
राज्यपाल जी के मार्गनिर्देशन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता हेतु आध्यात्मिक, प्रातिक, और सांस्तिक विरासत के प्रतीक के रूप में राजभवन देहरादून में ’’नक्षत्र वाटिका’’ की स्थापना की गयी है। नक्षत्र वाटिका में 27 नक्षत्रों से संबंधित 27 पौधों को स्थान दिया गया है। इसके अलावा राजभवन में स्थित बोनसाई गार्डन के विस्तारीकरण किया जा रहा है। वर्तमान में बोनसाई गार्डन में 500 से अधिक पौधों को संरक्षित किया गया है जो राजभवन में आकर्षण का केंद्र हैं।
विगत वर्षों की भांति राजभवन देहरादून में ‘‘पुष्प प्रदर्शनी’’ का आयोजन किया गया। इस बार ‘‘पुष्प प्रदर्शनी’’ का विस्तार करते हुए पुष्पों के साथ-साथ स्थानीय लघु उद्योग के उत्पादों को भी स्थान दिया गया इसमें 400 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

 

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