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कंगाली के मुहाने पर खड़ा पाकिस्तान चीन की मदद से भारत में आतंकी भेजने पर खर्च कर रहा 18 करोड़ रुपये

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नई दिल्ली, एजेंसी। जम्मू कश्मीर में आतंकी वारदातों को बढ़ाने के मकसद से पाकिस्तान खूब धन खर्च कर रहा है। ये अलग बात है कि वह खुद कंगाली के मुहाने पर खड़ा है। भारत में दहशतगदों को भेजने से लेकर उन्हें हथियार एवं दूसरे तकनीकी उपकरण मुहैया कराने में पाकिस्तान को चीन से मदद मिल रही है। खासतौर पर ड्रोन के मामले में चीन, पाकिस्तान का भरपूर सहयोग कर रहा है। बॉर्डर पर पाकिस्तान की ओर से हथियार एवं ड्रग्स लेकर जितने भी ड्रोन आते हैं, वे ज्यादातर चीन निर्मित होते हैं। हालांकि उन्हें असेंबल पाकिस्तान में किया जाता है। मौजूदा समय में पाकिस्तान सबसे खराब आर्थिक स्थिति के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ महंगाई आसमान छू रही है, तो दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत पैकेज भी नहीं मिल रहा। इसके बावजूद पाकिस्तान, जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए एक साल में 18 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधों से बचने के लिए अब कई वर्षों से पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी ‘आईएसआई’ ने एक नया तरीका ढूंढ लिया है। आईएसआई ने जम्मू-कश्मीर में अपने मुखौटे संगठन खड़े कर लिए हैं। वहां मौजूद पाकिस्तानी आतंकियों की मदद, वही मुखौटे संगठन कर रहे हैं। पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के छद्म समूह के तौर पर ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को खड़ा किया गया है। ‘जैश-ए-मोहम्मद’ ने भी इसी तरह से अपनी सक्रिय प्रॉक्सी विंग ‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ (पीएएफएफ) तैयार की है। इस साल पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार, निचले स्तर पर पहुंच गया है। पाकिस्तान की नेशनल अकाउंट कमेटी ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर का अनुमान 0.29 फीसदी बताया है। कंगाली की दहलीज पर पहुंचा पाकिस्तान, आतंकवाद पर पैसा खर्च करने से बाज नहीं आ रहा। आर्थिक मार के बावजूद भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान 18 करोड़ रुपये सालान खर्च करता है। इसमें घुसपैठियों और ड्रोन, दोनों शामिल हैं।
सुरक्षा बलों के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी आईएसआई और उसके गुर्गे आतंकी संगठन, भारतीय सीमा में लगातार घुसपैठ करने का प्रयास करते रहते हैं। हालांकि अधिकांश मौकों पर भारतीय सुरक्षा बल, घुसपैठ को असफल कर देते हैं। मौजूदा समय में बॉर्डर पर सीजफायर होने के बावजूद पाकिस्तानी सेना, रेंजर्स और आईएसआई के साथ मिलकर आतंकियों की घुसपैठ कराती है। लगभग डेढ़ दशक से पाकिस्तानी सेना ने मुखौटे वाले स्नाइपर और बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) को सीमा के आसपास तैनात कर रखा है। बैट में आतंकी संगठनों के सदस्य शामिल होते हैं। इन्हें पाकिस्तानी सेना की ओर से एक तय राशि दी जाती है। अगर ये भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाने में कामयाब रहते हैं, तो कुछ इंसेंटिव मिलता है। भारतीय सेना या बीएसएफ की जवाबी फायरिंग में ये लोग मारे जाते हैं तो इन्हें शहीद का दर्जा और 12 लाख रुपये मिलते हैं। सम्मान के साथ इनका अंतिम संस्कार होता है।
सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान सीमा से जिन आतंकियों की घुसपैठ कराई जाती है, उन्हें भी करीब दस लाख रुपये मिलते हैं। कश्मीर घाटी और उसके दूसरे हिस्सों की बात करें, तो मौजूदा समय यहां पर 69 से अधिक विदेशी मूल के यानी पाकिस्तानी आतंकी सक्रिय हैं। जम्मू-कश्मीर में लोकल आतंकी भी हैं। पाकिस्तान में ट्रेनिंग देकर आतंकियों को भारतीय सीमा में भेजा जाता है। इन पर भारी धनराशि खर्च होती है। वर्तमान में पाकिस्तान के जितने आतंकी, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं, उन पर सालाना तकरीबन 15 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। हालांकि अब इस मामले में पाकिस्तानी आईएसआई को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। एक तो घुसपैठ आसानी से नहीं हो पा रही और दूसरा अपना खर्च बचाने के लिए आईएसआई को जम्मू कश्मीर में लोकल आतंकी नहीं मिल रहे हैं। स्थानीय स्तर पर आतंकियों की भर्ती की रफ्तार बहुत धीमी है।
पाकिस्तान की तरफ से जम्मू कश्मीर और पंजाब में हथियार व ड्रग्स के पैकेट लेकर आने वाले ‘ड्रोन’ की संख्या बढ़ रही है। पहले एक सप्ताह में दो-चार ड्रोन आते थे, अब एक ही दिन में कई ड्रोन आने लगे हैं। पाकिस्तान से लगते बॉर्डर के विभिन्न हिस्सों पर इस साल अभी तक 120 से अधिक ड्रोन देखने को मिले हैं। अधिकांश ड्रोन मार गिराए गए हैं। पाकिस्तान एक साथ ‘3600’ ड्रोन को कंट्रोल करने का फॉर्मूला चीन से लेने का प्रयास कर रहा है। बॉर्डर मैन, इंस्टीट्यूट ऑफ बॉर्डर सिक्योरिटी स्ट्डीज के फाउंडिंग डायरेक्टर, प्रोफेसर आईआईटी दिल्ली एवं एडवाइजर आईआईटी मुंबई, डॉ. आरके अरोड़ा के मुताबिक, पाकिस्तान से भारत में जितने भी ड्रोन आते हैं, वे ज्यादातर असेंबल किए होते हैं। पाकिस्तान को चीन से सस्ती दरों पर पुर्जे मिल जाते हैं। इन्हें पाकिस्तान में जोड़ कर ड्रोन तैयार किया जाता है। चाइनीज पुर्जो के जरिए डेढ़ से दो लाख रुपये में एक ड्रोन तैयार हो जाता है। पंजाब सेक्टर में बीएसएफ द्वारा मार गिराए गए अनेक ड्रोन ‘क्वाडकॉप्टर डीजेआई मेट्रिक्स 300आरटीके सीरिज’ के रहे हैं। ड्रोन का फ्लाइंग टाइम और भार सहने की क्षमता पर कीमत तय होती है। अगर साल में सौ ड्रोन भी मार गिराए जाते हैं, तो इनकी कीमत तीन करोड़ रुपये होती है।
भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के विकसित देश भी ड्रोन को मार गिराने की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ‘एआई’ तकनीक पर काम कर रहे हैं। डॉ. अरोड़ा के अनुसार, अमेरिका और इस्राइल के पास घातक ड्रोन तो हैं, लेकिन ड्रोन को आने से रोकना या उसे तकनीक के जरिए मार गिराना, ये अभी तक सौ फीसदी संभव नहीं हो सका है। भारत में भी ऐसा तकनीकी सिस्टम विकसित करने पर काम चल रहा है। एंटी ड्रोन तकनीक, टनल का पता लगाना और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सर्विलांस, इसके लिए बीएसएफ ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसे ‘बीएसएफ हाईटेक अंडरटेकिंग फॉर मैक्सिमाइजिंग इनोवेशन’ (भूमि) का नाम दिया गया है। अभी जैमर लगाने वाला सिस्टम है, लेकिन ड्रोन की रेंज भांपकर उसकी फ्रीक्वेंसी बदल दी जाती है। इससे जैमर काम नहीं करता। फायरिंग के जरिए ड्रोन को गिराना, ये कोई आसान काम नहीं है। रात और धुंध में ड्रोन दिखाई ही नहीं पड़ता। ऐसे में सैंकड़ों फायर खाली चले जाते हैं।
इंडियन स्पेस एसोसिएशन के डीजी ले. जनरल (रि) एके भट्ट ने गत दिनों एक कांफ्रेंस में कहा था, आर्मी, एयरफोर्स, बीएसएफ और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के पास अभी ऐसे तकनीकी उपकरणों का अभाव है, जिनकी मदद से ड्रोन को समय रहते गिराया जा सकता है। क्वाडकॉप्टर जैसे छोटे साइज वाले ड्रोन मौजूदा रडार प्रणाली की पहुंच से दूर हैं। छोटे ड्रोन का झुंड हो तो भी पता नहीं लगता, बड़ा ड्रोन ही रडार की जद में आ सकता है। ड्रोन काउंटर के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना होगा। चीन अपने मिलिट्री ड्रोन के जरिए जल, थल और वायु सटीक सर्विलांस करता है। इसके लिए उसने 72 सैटेलाइट तैयार किए हैं। युद्ध पोतों पर उसकी नियमित नजर रहती है। पाकिस्तान के पास बायरकटार टीबी-2 ड्रोन (इं८१ं‘३ं१ ळइ2), चीन निर्मित डीजेआई मैट्रिस-300, सीएच-4 यूसीएवी, अनमैंड कॉम्बैट एरियल व्हीकल (यूसीएवी) भी हैं, इसके मद्देनजर भारत को अपना एंटी ड्रोन सिस्टम तैयार करना होगा।

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