बिग ब्रेकिंग

गूजर की झोपड़ी जलाने का मामला: रेंजर पर लगाया अभद्रता का आरोप, स्थानान्तरण की मांग

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

रेंज कार्यालय में किया प्रदर्शन, वन विभाग के खिलाफ की नारेबाजी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर निगम के पार्षदों ने लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज के रेंजर पर अभ्रदता का आरोप लगाते हुए रेंज कार्यालय में प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्षदों ने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पार्षदों ने स्थानीय विधायक एवं प्रदेश के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को ज्ञापन भेजकर तत्काल रेंजर के स्थानान्तरण की मांग की। उन्होंने कहा कि जब एक जनप्रतिनिधि के साथ ही वन विभाग के अधिकारियों द्वारा इस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है तो जनता के साथ कैसा व्यवहार करते होगें अंदाजा लगाया जा सकता है। पार्षद की ओर से कोतवाली में तहरीर दर्ज कराकर रेंज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है।
बुधवार को नगर निगम के पार्षद रेंज कार्यालय में एकत्रित हुए। रेंज कार्यालय में प्रदर्शन करते हुए पार्षद लीला कर्णवाल ने कहा कि मंगलवार दोपहर को उनके पास वन गुजर आये। वन गुजरों ने बताया कि वन विभाग की सुखरो बीट के कम्पार्ट नंबर दो में कई वर्षों से वह रहे है। वह भैंस और गाय का दूध बेचकर परिवार का भरण पोषण करते है। विगत एक जून को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे रेंजर बृज बिहारी शर्मा वन कार्मिकों के साथ कम्पार्ट नंबर दो में पहुंचे। वन कर्मियों ने उनकी झोपड़ी पर आग लगा दी। जबकि विभाग की ओर से गुजरों को नोटिस भी नहीं दिया गया। पार्षद ने बताया कि मंगलवार देर सांय को वह गुजरों व अन्य लोगों के साथ रेंज कार्यालय में रेंजर बृज बिहारी शर्मा से मिलने पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि रेंजर ने उनके और सामाजिक कार्यकर्ता हर्षिता के साथ अभ्रद व्यवहार किया। रेंजर ने उन्हें वहां से बिना उनकी बात सुने घर जाने को कहा और अपने कार्यालय में ताला लगवा दिया। पार्षद ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जबकि पूरा देश एक-दूसरे की मदद करने में लगा हुआ है, वहंीं वन विभाग गुजरों को बेघर कर रहा है। ऐसे संकट के समय वह लोग कहां जायेगें। प्रदर्शन करने वालों में पार्षद लीला कर्णवाल, गायत्री भट्ट, नीरूबाला खंतवाल, ऋतु चमोली, आशा चौहान, प्रीति देवी, विपिन डोबरियाल, सौरव नौडियाल, सुभाष पाण्डेय, कुलदीप रावत, मनीष भट्ट, कमल नेगी, भाजपा भाबर मंडल अध्यक्ष चन्द्रमोहन जसोला, महामंत्री गौरव जोशी, अनीता उपाध्याय समेत अन्य लोग शामिल थे।

डीएफओ ने दिया जांच का आश्वासन
रेंज कार्यालय में धरना-प्रदर्शन की सूचना मिलने पर डीएफओ अखिलेश तिवारी रेंज कार्यालय पहुंचे। डीएफओ ने पार्षदों को उनकी बात उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि पनियाली-4 में किसी भी गुजर को रहने का परमिट नहीं है। यहां पर बिना परमिशन के गुजर रहे थे। विभाग की ओर से पनियाली-4 में किये जा रहे अतिक्रमण को रोकने का प्रयास किया गया है। जहां तक आग की बात है वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि आग उन्होंने नहीं लगाई है, आग शायद गुजर ही लगा के चले गये। इसकी जांच कराई जायेगी, जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा कि आग किसने लगाई है। डीएफओ ने बताया कि पुराना परमिट ग्वालगढ़ का है वहां भी शीतकाल के दौरान आते है। जिन परिवारों के पास परमिट थे वह सभी चले गये है। यह परिवार कहीं और था लॉकडाउन के दौरान यह परिवार वन क्षेत्र पनियाली-4 में आ गया।

विभाग के हित में कार्य किया: रेंजर
लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज के रेंजर बृज बिहारी शर्मा का कहना है कि उन्होंने विभाग के हित में कार्य किया है। मैं गलत नहीं हूं। रेंज कार्यालय में मैंने किसी भी जनप्रतिनिधि के साथ अभद्रता नहीं की।

वन गुजरों ने वन विभाग पर लगाया झोपड़ी जलाने का आरोप
गूजर महासभा ने की मामले की जांच की मांग
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज की सुखरो बीट के कंपार्टमेंट नंबर-4 में झोपड़ी जलने की वजह से वन गुर्जर परेशान हैं। वन गुर्जरों का आरोप है कि वन विभाग के कर्मचारियों ने पहले तो उनकी झोपड़ियों में आग लगा दी, उसके बाद उन्हें धमकी देकर जंगल से भगा रहे हैं। साथ ही झोपड़ी के बाहर बंधे मवेशियों को भी जंगल में छोड़ दिया। आग लगने की वजह से झोपड़ियों में रखे सामान और रुपए जलकर खाक हो गए। वन गुर्जर कासिम के मुताबिक 30 साल से हम कोटद्वार रेंज में डेरा डालकर रहते हैं और हमारे पास वन क्षेत्र में रहने का परमिट भी है, लेकिन झोपड़ियों के जलने से हमारा परमिट भी जलकर खाक हो गया।
वन गुजर कासिम पुत्र मस्तू ने बताया कि उनका परिवार पिछले छ: माह से घराट मुंडला मार्ग पर सुखरो के जंगल में झोपड़ियां बनाकर रह रहे थे। उन्होंने बताया कि सोमवार दोपहर को करीब साढ़े बारह बजे कोटद्वार रेंज के कुछ वन कर्मी मौके पर पहुंचे और बिना नोटिस के उन्हें झोपड़ी खाली करने को कहने लगे। बाद में उनका सामान भी जब्त कर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि डेर के बाहर बंधे हुए चार मवेशी और छ: मुर्गें भी वन कर्मियों ने खोलनकर जंगल में भगा दिये। इसके बाद वन कर्मियों ने उनकी झोपड़ी में आग लगा दी। उन्होंने बताया कि झोपड़ी में रखी 38 हजार रूपये की धनराशि, तीन कुंटल गेहूं समेत पूरा राशन व कपड़े जल गये है। इंटरनेशनल गूजर महासभा एवं वन गूजर युवा संगठन ने जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल को भेजे ज्ञापन में कहा कि सुखरो बीट में निवासरत मस्तू पुत्र इलमद्दीन के घर पर विगत 1 जून को वन कर्मियों ने आग लगाकर बहुत ही गलत काम किया है। झोपड़ी में आग लगने से नगदी और कीमती सामान जल गया है। उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच करने दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, गूजर परिवार को आर्थिक सहायता देने, दोबारा से झोपड़ी बनवाने की मांग की है। संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि शासन की ओर से 28 अप्रैल 2020 को जारी शासनादेश में गूजरों के माइग्रेड पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उक्त आदेश का पूर्ण रूप से वन विभाग द्वारा उल्लघंन किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!