टिहरी बांध विस्थापितों की लड़ाई लडेंगे हरीश रावत
देहरादून। टिहरी बांध विस्थापितों को भूमिधरी का अधिकार देने की मांग को लेकर हरीश रावत एक फरवरी को गांधी पार्क देहरादून में मौन धरने पर बैठेंगे। इसमें बड़ी संख्या में बांध विस्थापित भी शिरकत करेंगे। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि 45 साल बाद आज भी टिहरी विस्थापित अपने हक-हकूकों की लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार मामले का हल निकालने के बजाए उलझाने का काम कर रही है। कांग्रेस मुख्यालय में सोमवार को पत्रकार वार्ता में पूर्व सीएम हरीश रावत ने हरिद्वार के पथरी में निवासरत टिहरी बांध विस्थापितों के मामले को उठाया। कहा कि 45 साल बाद भी विस्थापितों को उनके मकान और खेतों पर भूमिधरी का अधिकार नहीं मिला है। उन्हें बैंक उनकी ही जमीन या मकान पर लोन तक नहीं दे रहे हैं। रावत ने मुख्यमंत्री से भूमिधरी का अधिकार देने को लेकर मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने की मांग की। कहा कि 2016 में तत्कालीन सरकार ने मालिकाना हक देने के निर्देश जारी किए थे। सत्ता परिवर्तन के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में स्थानीय विधायक ने यह मामला उठाया और सदन में आश्वासन भी दिया गया। सीएम ने हरिद्वार के विधायकों के साथ बैठक में इस मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए । इस बीच वन विभाग ने सर्वे कर कह दिया कि यूपी के वक्त 912 एकड़ भूमि का आवंटन हुआ और अब 968 एकड़ में भूमि पर टिहरी विस्थापित कब्जेदार हैं। उन्होंने वन विभाग के सर्वे और निष्कर्षों को वापस लेने, विस्थापितों से किए गए वादों के परीक्षण के लिए टीएचडीसी, पुनर्वास निदेशक और मंत्री मंडल की संयुक्त कमेटी गठित हो। साथ ही 2013 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हर साल विस्थापितों के हित में किए जा रहे कार्यों की समीक्षा हो, जिसका पालन सरकार नहीं कर रही है। प्रेस वार्ता में कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार, प्रदेश महिला अध्यक्ष ज्योति रौतेला, टिहरी के पूर्व जिला अध्यक्ष शांति प्रसाद भट्ट, महावीर सिंह रावत, धीरेंद्र प्रताप, गरिमा दासौनी, पूरण सिंह रावत, वीरेंद्र पंवार बबी, विक्रम खरोला समेत अन्य मौजूद रहे।